मंडी, 22 सितंबर (हि.स.)। मजबूत इरादों से यदि सही दिशा में प्रयास किए जाएं तो सफलता अवश्य कदम चूमती है, भले ही परिस्थितियां कितनी ही विपरीत क्यों न हो। यह कर दिखाया है मंडी जिला की चच्योट तहसील के देवधार क्षेत्र के एक छोटे से गांव दहड़ के पांच लोगों ने। इनके लिए सरकार की योजनाएं वरदान साबित हुई हैं और यह सभी केवल दो बीघा बंजर भूमि में ट्राउट मछली पालन करके सालाना 15 से 18 लाख रुपये की आय अर्जित कर रहे हैं।
सरकारी अनुदान से बनाए हैं 12 रेसवेज
खेती-बाड़ी पर निर्भर रहने वाले दहड़ के नेत्र सिंह को वर्ष 2018 में एक ट्राउट मछली पालक ने उनकी खड्ड किनारे बंजर भूमि होने पर ट्राउट मछली पालन करने की सलाह दी। जिस पर अमल करते हुए नेत्र सिंह ने मत्स्य विभाग के अधिकारियों से सम्पर्क कर, नीली क्रांति योजना के अंतर्गत ट्राउट मछली पालन के लिए अनुदान प्राप्त कर कार्य शुरू किया। नेत्र सिंह ने इसके बाद कुछ और लोगों को भी इससे जोड़ा और सभी ने 30 लाख रुपये व्यय करके 12 ट्राउट रेसवेज का निर्माण कर लिया। योजना के अंतर्गत इसके निर्माण के लिए 11.60 लाख रुपये का अनुदान मत्स्य विभाग ने दिया।
30 लाख रुपये का मछली आहार यूनिट कर लिया स्थापित
ट्राउट मछली पालन में नेत्र सिंह को महंगे मत्स्य आहार की समस्या सामने आई तो उन्होंने प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना का लाभ उठाते हुए 12 लाख रुपये के अनुदान से 30 लाख रुपये का लघु मत्स्य आहार यूनिट भी स्थापित कर लिया। वर्तमान में वे अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ ही क्षेत्र के अन्य ट्राउट मछली पालकों को भी सस्ती दरों पर गुणवत्तायुक्त मछली आहार उपलब्ध करवा रहे हैं। इसके साथ ही अन्य सदस्य ने मछली ढोने के लिए गाड़ी भी खरीद ली। मत्स्य आहार की लागत कम होने से अब वह ट्राउट मछली पालन तथा मत्स्य आहार बेच कर सालाना और अधिक आय अर्जित कर लेंगे।
बडे शहरों तक पहुंच रही है दहड़ की ट्राउट
नेत्र सिंह ने बताया कि उनकी ट्राउट मछलियों ने मंडी शहर के अलावा लुधियाना, चंडीगढ़ और दिल्ली जैसे बड़े शहरों तक भी पहुंच बना ली है। उनकी मछली की इतनी मांग है कि वह इसे पूरा नहीं कर पा रहे हैं। ट्राउट मछली पालन से और लोग जु़ड़ जाएं तो परिवहन लागत कम होने से सभी के लिए मुनाफे का सौदा हो जाएगा। उन्होंने बताया कि मत्स्य विभाग समय-समय पर उनकी पूरी तरह से मदद कर रहा है।
सहायक निदेशक मत्स्य विभाग मंडी नीतू सिंह ने बताया कि दहड़ गांव में मछली पालकों को नीली क्रांति योजना के तहत आर्थिक सहायता प्रदान की गई थी। उन्हें ट्राउट रेसवेज के निर्माण के अलावा मछली पालन के पहले साल मछली बीज और आहार के लिए अलग से उपदान दिया गया। उन्होंने बताया कि राज्य योजना के अंतर्गत मछली पालन के लिए तालाब निर्माण एवं प्रथम वर्ष में सहायता प्रदान करने के लिये 12.4 लाख प्रति हेक्टेयर पर 80 प्रतिशत अनुदान के रूप में प्रदान किया जाता है। मंडी जिला में इस वित्तीय वर्ष में अब तक 763 नदीय मछुआरों ने मछली पकड़ने हेतु लाइसेंस लिये हैं। जिला में 96 परिवार मत्स्य पालन का कार्य कर रहे हैं और अच्छे मुनाफा कमा रहे हैं।
जिला उपायुक्त मंडी अपूर्व देवगन ने कहा मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू के निर्देश पर युवाओं को मत्स्य पालन से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मंडी जिला में कई खड्डों में पूरा साल पानी रहता है। इन खड्डों के किनारे मछली उत्पादन की व्यापक संभावनाएं हैं। उन्होंने बताया कि मत्स्य विभाग को सहकारिता विभाग से समन्वय बनाकर मत्स्य सहकारी सभाओं का गठन करने के लिए संभावनाओं को तलाशने के निर्देश दिये गए हैं।