रांची, 20 सितंबर (हि.स.)। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान के 100 वर्ष पूरे होने पर आयोजित शताब्दी समारोह में शुक्रवार काे केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि रांची को कृषि शिक्षा एवं शोध का प्रमुख केंद्र बनाएंगे। न्यूनत्तम मूल्य भी बढ़ाने का प्रयास करेंगे, जितनी लागत आता है, उसमें 50 प्रतिशत जोड़कर ही न्यूनत्तम प्रोडक्शन मूल्य दिया जाएगा। इस साल से 1500 से नहीं पांच हजार किसानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
शिवराज ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किसानों की आय दुगुनी करना चाहते हैं। कृषि में उत्पादन बढ़ाना, घाटा कम करने, केवल धान, गेंहू से काम नहीं चलेगा। हमें दूसरे खेती में जाना होगा। आज भी हम लाह में 400 करोड़ का निर्यात करते हैं। आज ऐसी महिलाएं है जो लाख-लाख रुपये कमा रही हैं। हमारी आय बढ़ाने के लिए लाह अहम है। पलास्टिक से बचने के लिए भी इसका उत्पादन जरूरी है। उन्हाेंने कहा कि लाह के माध्यम से भी लखपति दीदी बनायी जा सकती है। हमारा लक्ष्य है कि लाह का उत्पादन दुगुनी हो जाए। यह वनोत्पाद है। इसलिए कृषि विभाग के अधीन में आता है। मेरा प्रयास होगा कि लाह का खेती कृषि विभाग के तहत आ जाए, ताकि कृषि विभाग का योजनाओं का लाभ इस खेती को मिल सके। कलस्टर आधारित प्रोसेसिंग का प्रयास करेंगे।
40 लाख आदिवासी परिवार लाह की खेती से जुड़कर आर्थिक सबल बन रहे हैं : कृषि राज्य मंत्री
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री भगीरथ चौधरी ने कहा कि आदिवासी बहुल क्षेत्र में लाह की खेती भरण-पोषण करते हैं। करीब 40 लाख परिवार इस खेती से जुड़े हैं। हर क्षेत्र में अन्नदाता रात-दिन मेहनत करता है। जब अन्नदाता के घर में खुशहाली आता है तब हमें खुशी होती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में किसानों में खुशी लाने के लिए दिन-रात लगे हुए हैं। चाहे एमएसपी बढ़ाने का मसला हो या फिर आय दुगुनी करने का। यह गौरव की बात है कि यह संस्थान शताब्दी वर्ष मना रहा है। पहले यह लाह संस्थान ही था लेकिन प्रधानमंत्री इस संस्थान को और आगे बढ़ाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं।
खादी बोर्ड के अध्यक्ष रहते हुए लाह खेती से बिचौलिए को खत्म किया : संजय सेठ
रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने कहा कि किसी भी संस्था का सौ साल होना इस पावर अवसर पर भारत की राष्ट्रपति का शामिल होना, गौरव की बात है। यह किसानों को हौसला देना है। प्रकृति ने हमें हरा-भरा संपदा दिया। लाह पलास्टिक का विकल्प है। यह गौरव की बात है कि देश का 55 प्रतिशत लाह की खेती झारखंड में होता है। 400 करोड़ का एक्सपोर्ट होता है। लाह पहले 100 में बिकता था, वही लाह बड़े-बड़े व्यापरी उसे 700-800 रुपये में बेचता है। हमने खादी बोर्ड के अध्यक्ष रहते हुए बिचौलियों को खत्म किया। लाह से हम लखपतिया दीदी बना रहे हैं। पत्तल में लाह का कोटिक कर दिया जाए तो वह नुकसान देह नहीं होगा।
देश में कुल उत्पादन का 55 प्रतिशत लाह का उत्पान झारखंड से होता है : हिमांशु पाठक
संस्थान महानिदेशक हिमांशु पाठक ने कहा कि देश में कुल लाह उत्पादन का 55 प्रतिशत झारखंड से होता है। इसके बाद ही अन्य राज्य का योगदान है। इस संस्थान से 10 लाख से अधिक किसानों ने प्रशिक्षण लिया और अपना आय बढ़ाया। लाह के उत्पादन में हमारा देश नंबर वन है। हमारा संस्थान सेंकेडरी कृषि को बढ़ावा दे रहा है। अगले तीन वर्षों में यह देश न केवल विकाशील, बल्कि विकसित देश रहेगा। इसमें हमारे संस्थान को जो सहयोग रहेगा, जरूर करेगा। निदेशक डॉ. श्याम नारायण झा ने कहा कि इस संस्थान को चिरंजीवी बनाने में सभी के सहयोग की जरूरत है। समय-समय पर इस संस्थान का नाम बदला गया। कुल चार बार इस संस्थान का नाम बदला गया है, जिसका मुख्य कारण रहा इसके जरिए कृषि में उत्तोतर विकास।