शिमला, 16 सितंबर (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश में सेब का सीजन चरम पर है। सेब बाहुल्य जिलों से सेब की पेटियां देश की विभिन्न मंडियों में पहुंच रही हैं। बागवानी विभाग के मुताबिक एक करोड़ से अधिक सेब पेटियां मंडियों में जा चुकी हैं। इस बार सेब के दामों में गिरावट नहीं आई है। प्रदेश से बाहर की मंडियों में हिमाचली सेब को अच्छा दाम मिल रहा है और इससे बागवान खुश हैं। सेब सीजन अक्तूबर महीने के अंत तक चलेगा। अभी तक सेब सीजन में बागवानों को किसी भी तरह की दिक्कत पेश नहीं आई है। बरसात ने भी ज्यादा परेशान नहीं किया है। इस बार सडक़ों की स्थिति भी अच्छी है। सेब उत्पादक क्षेत्रों से कोई भी सडक़ें बरसात की वजह से बाधित नहीं हुई। इस बार प्रदेश सरकार ने सेब की पैकिंग के लिए यूनिवर्सल कार्टन की नई व्यवस्था लागू की है।
एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि इस वर्ष सेब सीजन के दौरान प्रदेश में लगभग 1 करोड़ 11 लाख 92 हजार 542 यूनिवर्सल कार्टन से सेब की फसल अभी तक देश की विभिन्न मंडियों में पहुंचाई जा चुकी है। शिमला और किन्नौर से 71 लाख 48 हजार 757, सोलन से 19 लाख 47 हजार 511, कुल्लू और लाहौल-स्पिति से 13 लाख 1668 यूनिवर्सल कार्टन के माध्यम से सेब देश की मंडियों में भेजा गया।
उन्होंने कहा कि यूनिवर्सल कार्टन से बागवानों को मानकीकृत, टिकाऊ और उच्च गुणवत्ता वाली पैकिंग सुविधा मिली है। इससे सेब को होने वाली क्षति से बचाया जा सकता है व गुणवत्ता बनी रहती है। इससे जहां बागवानों को सेब की कीमत तय करने का अधिकार मिला है वहीं बिचौलियों और व्यापारियों की निर्भरता से बागवान का बचाव होगा।
ये है यूनिवर्सल कार्टन
प्रदेश में इस साल से सेब की पैकिंग के लिए यूनिवर्सल कार्टन को लागू किया है। इस कार्टन में 20 किलोग्राम सेब आता है। ये कार्टन एक सिंगल पीस बॉक्स होता है, जिसे बड़ा नहीं किया जा सकता और न ही सेब की ट्रे को बढ़ाया जा सकता है। इससे पहले अन्य कार्टन (टेलीस्कोपिक) ऐसे होते थे, जिनमें एक कार्टन में दो बॉक्स होते हैं और सेब की 5 लेयर को 7 तक बढ़ाया जा सकता है। इससे बागवानों को वजन के हिसाब से नुकसान होता था। कार्टन में ज्यादा सेब आता था और ज्यादा सेब कम कीमत में बेचना पड़ता था। लेकिन अब यूनिवर्सल कार्टन की व्यवस्था से बागवानों को वजन के हिसाब से दाम मिल रहे हैं। इससे बागवान खुश हैं।
हिमाचल के सात जिलों में उगता है सेब
राज्य में सेब की पैदावार बर्फबारी वाले सात जिलों में होती है। सबसे अधिक सेब का उत्पादन शिमला जिला में होता है। अप्पर शिमला के जुब्बल-कोटखाई, कोटगढ़, नारकंडा, कुमारसेन, रोहड़ू, चौपाल और ठियोग में सेब की बंपर पैदावार होती है। इसके अलावा कुल्लू, किन्नौर, लाहौल-स्पीति के अलावा मंडी, सिरमौर, व चंबा जिलों के उंचाई वाले क्षेत्रों में सेब के बगीचे हैं। बागवानी विभाग के आंतरिक सर्वे के मुताबिक इस बार प्रदेश में 2.91 करोड़ पेटियां सेब उत्पादन रह सकता है। शिमला जिला में सर्वाधिक 1.60 करोड़ सेब पेटियां होने की संभावना है। पिछले साल प्रदेश में सेब का उत्पादन 1.90 करोड़ रहा था।