वरिष्ठ पत्रकार उमेश उपाध्याय को दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि

नई दिल्ली, 13 सितंबर (हि.स.) । वरिष्ठ पत्रकार उमेश उपाध्याय की सिविक सेंटर के केदारनाथ साहनी सभागार में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस सभा में राजनीति से लेकर समाजसेवा और मीडिया जगत के लोगों ने पहुंचकर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की और परिवारजनों को सांत्वना दी।

इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार ने उमेश उपाध्याय के साथ बिताए पलों को याद करते हुए कहा कि साल 2018 से उनका प्रत्यक्ष तौर पर परिचय हुआ था। उनकी देश-दुनिया के विषयों पर गहरी समझ और पकड़ थी। वे ऐसे इंसान थे, जो कर्मठ होने के साथ लोगों की चिंता भी करते थे। कुछ लोग पद पर पहुंचने के बाद समाज को योगदान नहीं करते लेकिन उमेश उपाध्याय ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने जीवनभर समाज को योगदान दिया। उनकी किताब के बारे में बताते हुए अरुण कुमार ने कहा कि वर्ष 1920 से लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक के समय विश्व का भारत के संबंध में क्या नैरेटिव है, इस पर उनकी पुस्तक बहुत गहन जानकारी देती है। उनकी कुछ पुस्तक का कार्य पूरा हो गया लेकिन विमोचन नहीं हुआ है। हमें उनके शेष कार्यों को पूरा करना है। उन्होंने कहा कि उमेश उपाध्याय ऐसे व्यक्ति थे जो पद और प्रतिष्ठा के बिना लालच के कार्य करते थे। जो उचित लगता था उसे बोलने में वह हिचकते नहीं थे। जो उनके संपर्क में आता था, उसे वह अपना बना लेते थे।

इस मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि जो काम उमेश उपाध्याय हाथ में लेते थे, वह उसके लिए पूरा अध्ययन करते थे और फिर उसे पूरी लगन से करते थे।

कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उमेश उपाध्याय के साथ 1980 के दशक में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता के तौर मिलने के संस्मरण बताए। उन्होंने कहा कि जेएनयू में एबीवीपी का काम खड़ा करने में उमेश उपाध्याय ने बहुत अहम भूमिका अदा की थी।

उन्होंने कहा कि उमेश उपाध्याय का जाना अविश्वनीय है। उमेश उपाध्याय ने सारी जिदंगी एक राष्ट्रभक्त के रूप में जो भी जिम्मेदारी आई, उसे जी भर कर निभाया। संपूर्णता से जीवन कैसे जीते हैं, उनसे सीखा जा सकता है।

वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने कहा कि एबीवीपी में एआरएसडी कालेज में जब उमेश उपाध्याय चुनाव लड़ रहे थे तब से उनका परिचय उनसे था। वह आयु में छोटे थे। दुनिया का सबसे कठिन कार्य अपने से छोटों को श्रद्धांजलि अर्पित करना है।

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