- 16 सितंबर से प्रदेश में एक्टिव होगा बारिश का स्ट्रॉन्ग सिस्टम
भोपाल, 13 सितम्बर (हि.स.)। मध्यप्रदेश में इस बार मानसून जमकर बरस रहा है। कुछ जिलों में भारी बारिश से जनजीवन प्रभावित हुआ है। गुरुवार को ग्वालियर का डबरा कस्बा और सेकरा गांव बाढ़ से घिर गए। प्रशासन ने 400 से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू किया। ग्वालियर के सरबा, सिरसा, मितगन, नंदू का डेरा, कैथोदा सहित करीब 10 गांव भी प्रभावित हैं। वहीं, लगातार बारिश होने से राजधानी भोपाल के सभी डैम के गेट खुल चुके हैं। मौसम विभाग ने आज यानि शुक्रवार को ग्वालियर-चंबल और जबलपुर संभाग के 11 जिलों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है।
मौसम विभाग के मुताबिक बंगाल की खाड़ी में 15 सितंबर से नया सिस्टम एक्टिव हो रहा है। इसका असर 16 सितंबर से प्रदेश में देखने को मिलेगा। मौसम विभाग की मानें, तो यह सिस्टम भी स्ट्रॉन्ग रहेगा। मौजूदा सिस्टम उत्तर प्रदेश की ओर बढ़ गया है। हालांकि, अगले 24 घंटे के दौरान ग्वालियर-चंबल और जबलपुर संभाग में इसका असर रहेगा। मध्यप्रदेश में सामान्य बारिश से ज्यादा पानी गिर चुका है। गुरुवार तक की स्थिति में औसत 37.3 इंच के मुकाबले 40.2 इंच बारिश हो चुकी है। सबसे ज्यादा बारिश मंडला जिले में 55.41 इंच हुई है। दूसरे नंबर पर सिवनी जिला है। यहां अब तक 53.39 इंच पानी गिर चुका है। श्योपुर में 50 इंच से ज्यादा बारिश हो चुकी है । सागर, निवाड़ी, राजगढ़, छिंदवाड़ा, नर्मदापुरम और रायसेन में 47 इंच से ज्यादा बारिश हुई है। इस बार भोपाल में अच्छी बारिश हुई है। इस वजह से पिछले 10 में से पांचवें साल सबसे ज्यादा 49.4 इंच पानी गिर चुका है। यह सामान्य से 32 प्रतिशत ज्यादा है।
वहीं, लगातार बारिश से भिंड में सिंध नदी खतरे के निशान से तीन मीटर ऊपर बह रही है। मेहगांव क्षेत्र के तीन गांवों को खाली करा लिया गया है। करीब 500 लोगों को पंचायत भवन और स्कूल में ठहराया गया है। 47 गांवों में अलर्ट जारी किया है। प्रदेश के 282 में से 200 से ज्यादा डैम भर गए हैं। बाकी बांधों में भी तेजी से पानी भर रहा है। गुरुवार को इंदिरा सागर बांध के 12, ओंकारेश्वर बांध के 11 गेट और मड़ीखेड़ा डैम के 4 गेट खुले रहे। भोपाल में केरवा के 3, कलियासोत के 2, कोलार-भदभदा का 1-1 गेट खुला रहा। तवा, बरगी, मोहनपुरा, हलाली, मड़ीखेड़ा, अटल सागर, तिघरा, बानसुजारा, जोहिला समेत कई डैमों के गेट भी खोल दिए गए हैं। नर्मदा और पार्वती नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। चंबल, कालीसिंध, शिप्रा समेत कई नदियां उफान पर हैं।