नई दिल्ली, 11 सितंबर (हि.स.)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने धोखाधड़ी के आरोप में ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (ओआईसी लिमिटेड) सतना (एमपी) के वरिष्ठ डिवीजनल मैनेजर सहित 14 व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। सीबीआई के मुताबिक इस धोखाधड़ी में सतना (एमपी) के डेवलपमेंट ऑफिसर, एजेंट, इंदौर स्थित सर्वेयर और लॉस असेसर, जांचकर्ता और सतना (एमपी) स्थित निजी फर्मों के आठ मालिक शामिल हैं। सीबीआई ने मध्य प्रदेश के इंदौर, सतना और जबलपुर में आरोपिताें के आवासीय और आधिकारिक परिसरों सहित तीन स्थानों की तलाशी ली, जिससे कई आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए। सीबीआई ने आज यह जानकारी दी।
सीबीआई ने जिन आराेपिताें के नाम एफआईआर में दर्ज किया है, उसमें ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड सतना डिवीजनल आफिस के वरिष्ठ डिवीजनल मैनेजर आरसी पार्टेरी, डेवलपमेंट आफिसर विजय कुमार माेंगिया, एजेंट श्रीचंद अग्रवाल, विजय कुमार मोंगिया, सर्वेयर एवं हानि निर्धारक सुनील गर्ग, अन्वेषक ब्रजेश कुमार यादव, ट्रेडिंग कंपनी के प्रोप्राइटर चंद्रबली दहिया,सुनील कुमार पांडेय,अनिल कुमार, साजन वर्मा,प्रशांत पांडेय, दीपक कुमार पांडेय, रामानंद द्विवेदी, फक्कड़ चमरकर का नाम शामिल है।
सीबीआई के मुताबिक आरोपितों ने वर्ष 2022 के दौरान इन व्यक्तियों ने आपस में मिलीभगत से ओआईसी लिमिटेड, सतना से धोखाधड़ी से बीमा राशि का दावा किया। इस तरह ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को 4 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। शिकायत में आरोप लगाया गया कि 7 फर्मों के तेंदू पत्ता व्यापारियों 14 पॉलिसियों के तहत ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, सतना से तेंदू पत्ते (बीड़ी पत्ते) के स्टॉक का बीमा कराया और स्टॉक को सतना जिले के ग्राम अहिरगांव में एक गोदाम में रखा गया था। जो कथित तौर पर आग से जल गया। कथित तौर पर गोदाम में बिजली का कनेक्शन नहीं था और कथित आग मानव निर्मित थी।
यह भी आरोप लगाया गया कि इस संबंध में स्थानीय पुलिस की एफआईआर और पंचनामा को सर्वेयर, अन्वेषक और ओआईसी लिमिटेड के अधिकारियों ने नजरअंदाज किया। इन फर्मों ने चार्टर्ड अकाउंटेंट की मदद से क्लोजिंग स्टॉक के लिए फर्जी ट्रेडिंग खाते तैयार किए, जिन्हें सर्वेयर, अन्वेषक और ओआईसी लिमिटेड के अधिकारियों द्वारा सत्यापित नहीं किया गया। यहां तक कि फर्मों द्वारा कोई जीएसटी रिटर्न दाखिल नहीं किया गया था इसे भी नजरअंदाज किया गया। यह भी आरोप लगाया गया था कि मध्य प्रदेश वन विभाग द्वारा इन सात फर्माें काे नहीं बल्कि मेसर्स पीसी ट्रेडिंग कंपनी काे तेंदू पत्ते बेचे गए थे।
यह भी आरोप लगाया गया था कि आरोपित डेवलपमेंट ऑफिसर ने ओआईसी लिमिटेड के नियमों और विनियमों के विरुद्ध 7 बीमा पॉलिसी को 14 पॉलिसियों में विभाजित करके दावा राशि को वरिष्ठ मंडल प्रबंधक के वित्तीय अधिकार में ला दिया ताकि दावों को मंजूरी देने के लिए वरिष्ठ अधिकारियाें से अनुमति लेने की जरूरत नहीं पड़े। इस तरह से अनुकूल परिस्थितियाँ बनाई गईं। इसके बाद फर्मों ने 14 बीमा पॉलिसियों में 14 दावे दायर किए, जिनका निपटारा ओआईसी लिमिटेड, सतना से किया गया।
सीबीआई के मुताबिक साजिश के तहत आरोपित सीनियर डिवीजनल मैनेजर ने कथित तौर पर संबंधित आरोपिताें से सर्वेक्षण और जांच करवाई, जिन्होंने अग्नि दुर्घटना में हुए नुकसान को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करके 14 सर्वेक्षण रिपोर्ट और 14 जांच रिपोर्ट पेश कीं। जिसके आधार पर आरोपित सीनियर डिवीजनल मैनेजर ने धोखाधड़ी से इन फर्मों के पक्ष में दावों का निपटारा किया।