संवैधानिक संकट से बचने के लिए सरकार का फैसला
चंडीगढ़, 11 सितंबर (हि.स.)। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी की अध्यक्षता में बुधवार की रात हुई मंत्रिमंडल की बैठक में 14वीं विधानसभा को भंग करने का प्रस्ताव पारित कर दिया। इस सबंध में राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को एक पत्र भेजकर विधानसभा भंग करने की सिफारिश की जाएगी। सरकार का प्रस्ताव राज्यपाल के स्वीकार करने पर मौजूदा विधायकों का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा और नई सरकार के गठन तक नायब सैनी कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में काम करते रहेंगे।
राज्य में इस समय 14वीं विधानसभा चल रही है, जिसका कार्यकाल तीन नवंबर तक है। हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व परिवर्तन करने के बाद बीती 12 मार्च को नायब सैनी को हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाया गया था। 13 मार्च को नायब सैनी ने विधानसभा में बहुमत साबित किया। इसके बाद सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया। नियमानुसार छह माह के भीतर विधानसभा का सत्र बुलाया जाना जरूरी है, जिसके चलते सरकार के लिए 12 सितंबर तक सदन की बैठक बुलाना जरूरी हो गया था। राज्य में 5 सितंबर से विधानसभा चुनाव की अधिसूचना लागू हो चुकी है। ऐसे में विधानसभा सत्र बुलाया जाना संभव नहीं था।
सदन की बैठक नहीं बुलाई जाती तो सरकार संवैधानिक संकट में घिर सकती थी। इसलिए तय समयावधि के पूरा होने से पहले ही मुख्यमंत्री नायब सैनी ने बुधवार को मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई। मुख्यमंत्री समेत तमाम मंत्री नामांकन दाखिल करने में व्यस्त थे। इसके बावजूद मुख्यमंत्री नायब सैनी, कैबिनेट कंवर पाल, सुभाष सुधा, राज्य मंत्री असीम गोयल आज देरशाम सचिवालय पहुंचे। नायब सैनी कैबिनेट के अन्य मंत्री वीडियो कांफ्रैंसिंग के माध्यम से इस बैठक में शामिल हुए। बैठक में सर्वसम्मति से सरकार को भंग करने का फैसला लिया गया। इसके बाद सरकार राज्यपाल से विधानसभा भंग करने का सिफारिश पत्र भेजेगी।