वाराणसी, 08 सितम्बर (हि.स.)। गंगा नदी में बाढ़ का पानी उतरने के बाद बदहाल घाटों की सूरत बदलने के लिए नमामि गंगे के स्वयंसेवकों के साथ नगर निगम के कर्मचारियों ने रविवार को दशाश्वमेध घाट पर वृहद स्वच्छता अभियान चलाया। अभियान के तहत घाट पर बिखरे व गंगा नदी में बहते पूजा सामग्री और बाढ़ के अवशिष्ट को बाहर निकाला गया। दशाश्वमेध घाट पर नमामि गंगे व नगर निगम की टीम ने एक टन से अधिक कचरा गंगा से बाहर निकाला।
गंगा सफाई के इस अभियान में नगरवासी भी अपनी हिस्सेदारी निभा रहे हैं। गंगा तट और घाटों पर सफाई के साथ ही नमामि गंगे के वॉलंटियर लोगों को गंगा सफाई के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं। काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला ने बताया कि बाढ़ के बाद गंगा की तलहटी और सतही जल में कई तरह की चीजें आ जाती हैं जिनसे गंगाजल प्रदूषित होता है। साथ ही, उसे गंदा भी करती हैं। ऐसे ही नदी में बहती और तैरती चीजों की हम लोगों ने सफाई की है। ताकि गंगा घाट से लेकर तलहटी तक स्वच्छता दिखे। उन्होंने कहा कि बनारस में पिछले दिनों आई बाढ़ के बाद सभी घाटों पर सिल्ट (गाद) का अंबार है। इस सिल्ट में कई सारी चीजें हैं जो गंगा को न सिर्फ मैला कर रही हैं, बल्कि यहां आने वाले पर्यटकों के लिए भी आफत बनी हुई है। ऐसे में गंगा घाटों पर फैली इन दुर्व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए नमामि गंगे और नगर निगम की टीम ने लगातार सफाई अभियान की मुहिम छेड़ रखी है। स्वच्छता अभियान में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन नई दिल्ली के प्रतिनिधि अथर्वराज पांडेय विशेष रूप से उपस्थित रहे। स्वच्छता की मुहिम में नगर निगम सुपरवाइजर कामेश्वर सेठ, सफाई कर्मचारी उपस्थित रहे।