– 10 सालों में 7 बार सितंबर में शेयर बाजार ने दिया निगेटिव रिटर्न
नई दिल्ली, 8 सितंबर (हि.स.)। सितंबर के पहले कारोबारी सप्ताह में घरेलू शेयर बाजार के प्रदर्शन ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है। माना जा रहा है कि पिछले 10 साल के ट्रेंड के मुताबिक एक बार फिर सितंबर का महीना निवेशकों के लिए नुकसान वाला महीना साबित हो सकता है। इसके पहले 2014 से लेकर अभी तक 7 बार सितंबर का महीना निगेटिव रिटर्न दे चुका है।
सितंबर के पहले सप्ताह के दौरान सोमवार से शुक्रवार के बीच सेंसेक्स 1,540 अंक से अधिक गिर चुका है। इसी तरह निफ्टी में भी 5 दिन के कारोबार के दौरान 415 अंक से अधिक की गिरावट आ चुकी है। पिछले सप्ताह के ट्रेंड की वजह से निवेशकों को लगने लगा है इस बार भी सितंबर का महीना मंदड़ियों को फायदा पहुंचाने वाला महीना बन सकता है।
पिछले 10 सालों के ट्रेंड को अगर देखा जाए तो 2014 से अब तक शेयर बाजार को सितंबर के महीने में सात बार नुकसान का सामना करना पड़ा है। हालांकि इन 10 सालों में 2019, 2021 और 2023 में सितंबर के महीने के दौरान शेयर बाजार तेजड़ियों के लिए मददगार रहा है। यानी इन तीन सालों में शेयर बाजार ने निवेशकों को पॉजिटिव रिटर्न दिया है, जबकि 2014 से लेकर लगातार 2018 तक और उसके बाद 2020 तथा 2022 के सितंबर में शेयर बाजार में नेगेटिव रिटर्न दिया। इन 7 सालों में सितंबर का महीना मंदड़ियों के लिए मुफीद बना रहा और निवेशकों को औसतन 0.74 प्रतिशत नुकसान का सामना करना पड़ा। दूसरी ओर 2019 में शेयर बाजार ने 3.6 प्रतिशत, 2021 में 2.7 प्रतिशत और 2023 में शेयर बाजार ने 1.5 प्रतिशत का मुनाफादायक रिटर्न दिया।
मार्केट एक्सपर्ट्स घरेलू शेयर बाजार में मामूली करेक्शन का अनुमान जता रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि शेयर बाजार लगातार 12 कारोबारी सत्रों में मजबूत होता रहा है। इसलिए आने वाले कुछ सत्रों में बाजार में मुनाफा वसूली जारी रह सकती है। बग्गा सिक्योरिटीज एंड इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के सीईओ नरेंद्र बग्गा के अनुसार इस महीने के कारोबार पर अमेरिकी बाजार की चाल का काफी असर पड़ेगा। वहीं अमेरिकी बाजार की चाल को सबसे अधिक अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों पर लिया जाने वाला फैसला प्रभावित करेगा। इसके साथ ही रोजगार के आंकड़े से भी अमेरिकी बाजार की चाल पर असर पड़ेगा।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व 18 सितंबर को ब्याज दरों के संबंध में अपने फैसले का ऐलान करने वाला है लेकिन रोजगार के आंकड़े उसके पहले ही बाजार के साथ ही वॉक स्ट्रीट के सूचकांकों पर अपना असर डाल चुके होंगे। इसीलिए इस महीने के दूसरे सप्ताह के दौरान बाजार सीमित दायरे में कारोबार करता हुआ नजर आ सकता है या बाजार में मामूली नरमी भी आ सकती है।
इसी तरह धामी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत धामी का कहना है कि मौजूदा समय में घरेलू शेयर बाजार में लिस्टेड कई कंपनियां अपने एक्चुअल वैल्यूएशन से काफी ऊपर कारोबार कर रही हैं। ऐसी स्थिति में सितंबर के आने वाले दिनों में बाजार में करेक्शन जारी रह सकता है। बाजार में करेक्शन होने का सीधा मतलब सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट से जुड़ा हुआ है। इसके साथ ही अमेरिका मे ब्याज दरों को लेकर होने वाला अमेरिकी फेडरल रिजर्व का फैसला वॉल स्ट्रीट पर असर डालने के साथ ही दुनिया भर के तमाम स्टॉक एक्सचेंजों के कारोबार पर भी असर डालेगा।
धामी का कहना है कि अगर 18 सितंबर को यूएसए का सेंट्रल बैंक अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कमी करने का फैसला लेता है, तो इसके दो परिणाम होंगे। सबसे पहले तो ब्याज दरों में हुई कटौती को दुनिया भर में ब्याज दरों में कटौती करने के चक्र की शुरुआत माना जाएगा। इसके साथ ही बाजार इस बात का भी आकलन करेगा कि अनुमान की तुलना में ब्याज दरों में कितनी वास्तविक कटौती हुई है। इस आकलन के आधार पर ही वॉल स्ट्रीट के सूचकांकों की आगे की चाल निर्भर करेगी, जिसका असर दुनिया भर के स्टॉक मार्केट पर भी पड़ेगा।