कोलकाता, 6 सितंबर (हि.स.)। पश्चिम बंगाल विधानसभा में हाल ही में पास हुए ‘अपराजिता’ बिल 2024 को लेकर राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि राज्य सरकार ने बिल के साथ आवश्यक ‘टेक्निकल रिपोर्ट’ नहीं भेजी, जो किसी भी बिल की सहमति के लिए जरूरी है। राज्यपाल ने कहा कि बिना इस रिपोर्ट के वह बिल पर सहमति नहीं दे सकते। यह जानकारी राज्यभवन के एक अधिकारी ने शुक्रवार को दी।
उनके अनुसार, यह पहली बार नहीं है जब पश्चिम बंगाल सरकार ने इस तरह का रवैया अपनाया है। राज्यपाल ने कहा है कि अक्सर राज्य सरकार विधानसभा में पास होने के बाद बिल के साथ यह जरूरी रिपोर्ट नहीं भेजती और बाद में जब बिल पास नहीं होता तो उसका दोष राज्यभवन पर मढ़ दिया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि यह पूरी प्रक्रिया नियमों के खिलाफ है।
‘अपराजिता’ बिल, जिसका पूरा नाम ‘द अपराजिता विमेन एंड चाइल्ड (वेस्ट बंगाल क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट) बिल 2024’ है, इसे तीन सितंबर 2024 को विधानसभा में पास किया गया था। यह बिल राज्य में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों से निपटने के लिए बनाया गया है। लेकिन राज्यपाल का कहना है कि इस महत्वपूर्ण बिल के साथ भी राज्य सरकार ने ‘टेक्निकल रिपोर्ट’ नहीं भेजी, जिससे यह मामला अटका हुआ है।
राज्यपाल ने इस बिल की आलोचना भी की है। उनका कहना है कि यह बिल अन्य राज्यों के समान बिलों की नकल मात्र है। महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में भी इसी तरह के बिल लाए गए हैं, जो राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं। इसलिए, उन्होंने सवाल उठाया कि इस बिल को राज्य ने सही तरीके से तैयार क्यों नहीं किया।
विधानसभा में पास हुए किसी भी बिल को कानून बनने के लिए राज्यपाल की सहमति की आवश्यकता होती है। यदि राज्यपाल किसी बिल पर फैसला नहीं कर पाते हैं या उन्हें किसी सलाह की जरूरत होती है तो वह उसे राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं। अंतिम निर्णय राष्ट्रपति का होता है। इसी प्रक्रिया के तहत ‘अपराजिता’ बिल फिलहाल राज्यभवन में रुका हुआ है। दिलचस्प बात यह है कि इस बार राज्य सरकार ने इस बिल को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पास भी भेजा है।