शैक्षणिक सत्र 2021-22 से होगी नेशनल एक्जिट टेस्ट की शुरुआत, निगेटिव मार्किंग के प्रावधान को हटाने पर होगा विचार

नई दिल्ली, 05 सितंबर (हि.स.)। नेशनल एक्जिट टेस्ट (एनईएक्सटी) शैक्षणिक सत्र 2021-22 से लागू किया जाएगा। आयुष मंत्रालय द्वारा इस संबंध में गठित एक उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशें मान ली गई हैं।

आयुष मंत्रालय में गुरुवार को आयोजित प्रेसवार्ता में आयुष मंत्री प्रताप राव जाधव ने बताया कि आयुष कॉलेज के स्नातक छात्रों की चिंताओं को देखते हुए मंत्रालय ने 12 अगस्त को 13 सदस्यीय एक कमेटी का गठन किया था, जिसके अध्यक्ष राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर के कुलपति प्रोफेसर संजीव शर्मा थे। इसमें राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग और राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा पद्धति आयोग के साथ-साथ देश के कई वरिष्ठ विशेषज्ञ और छात्रों के दो प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया था। इस समिति को गठन के आदेश के एक महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया था। समिति ने अपनी सिफारिशें दी, जिसे मंत्रालय ने स्वीकार कर लिया है।

मंत्री प्रतापराव जाधव ने कहा कि इस रिपोर्ट में मुख्य सिफारिश के तहत राष्ट्रीय निकास परीक्षा के प्रावधान विद्यार्थियों के लिए शैक्षिक सत्र 2021-22 और उसके बाद से लागू किया जाना चाहिए। इसके साथ समिति ने यह भी सिफारिश की है की दोनों आयोग नकारात्मक मूल्यांकन (निगेटिव मार्किंग) के प्रावधान पर फिर से विचार करेंगे और साथ ही साथ अंडरग्रेजुएट विद्यार्थियों को उनके अंतिम वर्ष में तथा इंटर्नशिप करने की अवधि के दौरान भी नेक्स्ट की परीक्षा को दे सकेंगे, जिससे उन्हें इसे पास करने के लिए पर्याप्त अवसर मिल सकें।

उल्लेखनीय है कि नेशनल कमिशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन (एनसीआईएसएम) और नेशनल कमिशन फार होमियोपैथी(एनसीएच) ने राष्ट्रीय विकास परीक्षा उत्तीर्ण करने की अनिवार्यता लागू करने के संबंध में अलग-अलग अधिसूचनाएं जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि अधिसूचना जारी करने की तिथि के बाद से सभी आयुष शिक्षा के स्नातक इंटर्न विद्यार्थियों को डिग्री लेने के लिए राष्ट्रीय निकास परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य होगा। इस अधिसूचना के बाद से देश भर के अंडरग्रैजुएट छात्र आंदोलन कर रहे थे, वे सड़कों पर भी उतर आए थे और उन्होंने जंतर मंतर में धरना भी दिया था। छात्रों का एक प्रतिनिधि मंडल आयुष मंत्री से मिला था जिसमें इस निकास परीक्षा को पिछली तिथियों की बजाय आगामी शैक्षिक सत्रों से लागू करने की प्रार्थना की थी। जैसा कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (नेशनल मेडिकल कमिशन) ने भी किया है।

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