सैन्य कमांडरों से किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने का आह्वान

– शांति व स्थिरता के लिए चुनौती बन रही समस्याओं का विश्लेषण करने पर जोर

– तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल के लिए आठ डिजिटल एप्लिकेशन लॉन्च

नई दिल्ली, 05 सितम्बर (हि.स.)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रूस-यूक्रेन और इजराइल-हमास के बीच चल रहे संघर्षों और बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति का जिक्र करते हुए सैन्य कमांडरों से इन घटनाओं का विश्लेषण करने, भविष्य में देश के सामने आने वाली समस्याओं का पूर्वानुमान लगाने और किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने का आह्वान किया। उन्होंने उत्तरी सीमा पर स्थिति और पड़ोसी देशों में हो रही घटनाओं के मद्देनजर शीर्ष सैन्य नेतृत्व से गहन विश्लेषण की आवश्यकता पर जोर दिया, जो क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए चुनौती बन रहे हैं।​

रक्षा मंत्री ने लखनऊ के मध्य कमान मुख्यालय में तीनों सेनाओं के पहले संयुक्त कमांडर सम्मेलन के दूसरे और अंतिम दिन गुरुवार को भारतीय सशस्त्र बलों के शीर्ष नेतृत्व को संबोधित किया। दो दिवसीय संयुक्त कमांडर सम्मेलन का विषय ‘सशक्त और सुरक्षित भारत: सशस्त्र बलों में बदलाव’ रखा गया था। उन्होंने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने और आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में सेनाओं के अमूल्य योगदान को सराहा। रक्षा मंत्री ने तीनों सेनाओं के लिए संयुक्तता और एकीकरण की दिशा में प्रयासों पर एक व्यापक दस्तावेज जारी किया। उन्होंने तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल के लिए आठ डिजिटल एप्लिकेशन भी लॉन्च किए।

आखिरी सत्र में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संयुक्त सैन्य दृष्टिकोण विकसित करने और भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयारी करने पर जोर दिया। उन्होंने अंतरिक्ष और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में क्षमता विकास का आह्वान करते हुए कहा कि भारत शांतिप्रिय राष्ट्र है, इसलिए शांति बनाए रखने के लिए सशस्त्र बलों को युद्ध के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है। उन्होंने राष्ट्रीय हितों की रक्षा और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने में सशस्त्र बलों के अमूल्य योगदान को सराहा। राजनाथ सिंह ने कहा कि वैश्विक अस्थिरता के बावजूद भारत शांतिपूर्ण तरीके से विकास कर रहा है। हालांकि, चुनौतियों की बढ़ती संख्या के कारण हमें सतर्क रहने की जरूरत है।

रक्षा मंत्री ने कमांडरों से सशस्त्र बलों के शस्त्रागार में पारंपरिक और आधुनिक युद्ध उपकरणों की पहचान करके उन्हें शामिल करने का आह्वान किया। उन्होंने सैन्य नेतृत्व से डेटा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकी प्रगति के उपयोग को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि ये घटक किसी भी संघर्ष या युद्ध में सीधे तौर पर भाग नहीं लेते हैं लेकिन उनकी अप्रत्यक्ष भागीदारी काफी हद तक युद्ध की दिशा तय कर रही है। राजनाथ सिंह ने रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ हासिल करने के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी और इस क्षेत्र को मजबूत करने तथा सशस्त्र बलों को अत्याधुनिक स्वदेशी हथियारों और प्लेटफार्मों से लैस करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।

रक्षा मंत्री ने ई-म्यूजियम और ई-ग्रंथालय सहित आठ अभिनव अनुप्रयोगों को भी लॉन्च किया। साथ ही ‘औपनिवेशिक प्रथाएं और सशस्त्र बल-एक समीक्षा’ पर एक प्रकाशन भी लॉन्च किया, जो तीनों सेनाओं के बीच अधिक सामंजस्य और तालमेल की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सम्मेलन में राज्य रक्षा मंत्री संजय सेठ, सीडीएस जनरल अनिल चौहान, थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने, सचिव (रक्षा उत्पादन) संजीव कुमार, सचिव (पूर्व सैनिक कल्याण) डॉ. नितेन चन्द्रा, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव तथा डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत, वित्तीय सलाहकार (रक्षा सेवाएं) सुगाता घोष दस्तीदार तथा रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *