यौन शोषण और अपराध की गिरफ्त में मौलिवुड

डॉ. अंजनी कुमार झा

मलयालम फिल्म उद्योग में यौन उत्पीड़न के मामले अबतक थम नहीं रहे। शोषण, अत्याचार के अनेक सनसनीखेज मामलों के सार्वजनिक होने से केरल की फिल्म इंडस्ट्री में भूचाल-सा आ गया है। मौलिवुड में मलयाली के एक और अभिनेता जयसूर्या के विरुद्ध एक अभिनेत्री ने थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी। इससे पूर्व मशहूर एक्टर सिद्दिकी को हाल ही में एक हीरोइन के साथ दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार किया गया। पहला मामला फ़िल्म निर्देशक रंजीत का आया, जिसमें बंगाल की एक्ट्रेस ने उन पर दुष्कर्म का आरोप लगाया।

उपरोक्त सभी मामलों में पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया है। मामला इतना गंभीर है कि सिद्दिकी को एसोसिएसन ऑफ़ मलयालम मूवी आर्टिस्ट्स के महासचिव के पद से हाथ धोना पड़ गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए ऐसे सभी मामलों की जाँच एसआईटी को सौंप दी गई है। जस्टिस के. हेमा कमिटी की रिपोर्ट को केरल की एलडीएफ सरकार ने जारी किया, जिसमें महिला अभिनेत्रियों के साथ हो रहे अत्याचार का ब्योरेवार वर्णन है। रिपोर्ट में साफ शब्दों में जिक्र है कि केरल फ़िल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के काम करने का उचित माहौल नहीं है। वर्ष 2017 में गठित कमिटी ने 2019 को राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपी किन्तु अगस्त, 2024 में राज्य सरकार ने इसे सार्वजनिक किया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि विजयन सरकार फ़िल्म इंडस्ट्री और सेक्स रैकेट माफिया के चंगुल में है। एफआईआर तो शोर को कम करने के लिए है। दागियों को जिस तरह सरकार बचा रही है, यह शर्मनाक है। रिपोर्ट में साफ-साफ उल्लेख है कि फ़िल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के साथ यौन शोषण के अतिरिक्त शारीरिक उत्पीड़न भी किया जाता है। उसी को एक्ट्रेस के रूप में मौका दिया जाता है जो शारीरिक सम्बन्ध बनाने को तैयार हो। ऐसी लड़कियों को अभिनेत्री बनाया जाता है। उसे बहुत कम धनराशि दी जाती है। इनकार करने पर स्थापित एक्ट्रेस को जान से मारने की धमकी के साथ ब्लैकमेलिंग भी की जाती है। इसके उलट जो “सहयोग” करने से इनकार करती है, उसे कभी अवसर नहीं दिया जाता। अश्लीलता को फिल्मों में खूब परोसा जा रहा है और उस आड़ में सेक्स रैकेट के साथ ड्रग्स का हजारों करोड़ का धंधा फल-फूल रहा है। अभिनेत्रियों से कम कपड़े और अश्लील हरकतों को शूटिंग में करने को कहा जाता है। सफल तारिका की अब यही पहचान बन गई है।

आयोग की आंतरिक शिकायत समिति ने साफ शब्दों में कहा है कि फ़िल्म इंडस्ट्री में महिलाओं को कार्य नहीं करना चाहिए। आयोग ने चिंता जाहिर की है कि ऐसे अपराधों की थानों में प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा रही है और बहुत दबाव में शिकायत दर्ज कर ली गई तो गिरफ्त्तारी कभी होती नहीं है। फ़िल्म इंडस्ट्री की आड़ में सरकार की शह पर घिनौने धंधे चल रहे हैं। बढ़ती किरकिरी के कारण एसोसिएशन ऑफ़ मलयालम मूवी आर्टिस्ट के अध्यक्ष और मशहूर अभिनेता मोहनलाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। हालाँकि, उनका कार्यकाल 2027 तक था। जगदीश और आर. जयन सहित कई पदाधिकारियों को लोकलाज के कारण इस्तीफा देना पड़ा। विशेष जाँच टीम के राडार पर कई नामचीन फिल्मी हस्तियों के अतिरिक्त सत्तारूढ़ दल के पदाधिकारी भी शामिल हैं। ऐसे में “मैनेज” के चक्कर में गिरफ्तारी की हरी झंडी न मिलना लोकतंत्र को शर्मसार कर रहा है। एक वरिष्ठ पुलिस अफसर ने कहा कि किसी का कुछ नहीं बिगड़ेगा। यह जाँच दल, रिपोर्ट केवल भरमाने का तरीका है। जनरोष को मद्देनजर रखते हुए भाजपा और कांग्रेस ने माकपा विधायक सह अभिनेता एम. मुकेश के इस्तीफे की मांग की है।

उल्लेखनीय है कि 17 फरवरी 2017 को कोच्चि में एक सुप्रसिद्ध नायिका का पहले अपहरण हुआ, फिर चलती कार में सामूहिक दुष्कर्म हुआ। पीड़िता की रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद मुख्यमंत्री पिनार्याई विजयन ने केरल हाई कोर्ट की सेवानिवृत जज के. हेमा की अध्यक्षता में कमिटी का गठन कर दिया। रिपोर्ट तो आ गई, किन्तु दोषी कौन? सजा किस-किस को मिलेगी? इत्यादि प्रश्न तो अनुत्तरित हैं। सात वर्षों बाद आई रिपोर्ट भी लगता है मामले को शांत करने और लीपापोती के लिये है। तभी तो फ़िल्म इंडस्ट्री पोर्न इंडस्ट्री के रूप में तब्दील हो गया। सरकार के कई मंत्री-विधायक इस काले धंधे में संलिप्त हैं, इसलिये यह रिपोर्ट शो-पीस बन कर रह गया। आश्चर्यजनक तथ्य है कि 31 दिसंबर,2019 को कमिटी ने सरकार को रिपोर्ट सौंपी, किन्तु इसे लगभग पांच वर्षों तक जानबूझ कर रोके रखा। इसे जारी कराने के लिये जब सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई तो संस्कृति विभाग ने गोपनीयता का हनन होना बता कर इसे देने से इनकार कर दिया। हाई कोर्ट में भी याचिकाओं के जरिये रोकने का प्रयास किया गया। अंततः राज्य सूचना आयोग के हस्तक्षेप और कोर्ट के आदेश के बाद रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जा सका।

कास्टिंग काउच साफ-साफ दिखता है। अनेक गवाहों के कैमरे पर आने, ऑडियो क्लिप्स, वीडियो क्लिप्स, स्क्रिन शॉट्स, इंटरव्यू, गवाहों के बयान आदि से इसकी साफ-साफ पुष्टि होती है। समिति के समक्ष कुछ महिलाओं ने यहाँ तक कहा कि रात में पुरुष उनके दरवाजे को जोर-जोर से पीटते हैं. कई महिलाओं ने यह भी बयान में कहा कि सच बोलने से उन्हें पुलिस का भय है कि कहीं उनके रिश्तेदारों पर झूठे मुकदमे न लाद दिये जायें। एक सुप्रसिद्ध अभिनेता ने बयान में कहा कि पूरी फ़िल्म इंडस्ट्री को माफिया चला रहा है, जिसमें पुरुष प्रोड्यूसर, निर्देशक, अभिनेता शामिल हैं। सिनेमा के तकनीकी सेक्शन में महिला कर्मी नाममात्र की है। फ़िल्म इंस्टीट्यूट के. आर. नारायणन नेशनल इंस्टीटूट ऑफ़ विजुअल साइंस एंड आर्ट्स में 44 में केवल दो छात्राएं हैं।

विपक्ष की मांग है कि पूरे मामले की जाँच वरिष्ठ पुलिस महिला अधिकारियों के द्वारा कराई जाये। मौलिवुड में महिलाओं को दो शब्द समझौते और समायोजन के इर्द-गिर्द घूमना होता है। केवल एक ही सन्देश दिया जाता है- अपने को मांग के अनुसार सेक्स के लिये तैयार रहना है। न बोलने पर काम से बाहर का रास्ता दिखाया जाता है। दिलचस्प तथ्य है कि दृश्य में महिला-पुरुष या पति-पत्नी के एक शॉट के 17 री-टेक होते थे। यह पहले से मान लिया जाता था कि अभिनेता तो अभिनेत्री से दुर्व्यवहार करेंगे। इच्छा के विपरीत महिलाकर्मियों को काम करना पड़ता था। 10 से 15 केवल पुरुष ही मोलिवुड में हैं जो अत्यंत धनी हैं और फ़िल्म इंडस्ट्री में इन्हीं का आधिपत्य है। जूनियर कलाकारों को कलाकार के रूप में स्वीकार नहीं किया जाता है। साहस कर बयान दे चुके कुछ कलाकारों के अनुसार उन्हें शारीरिक यातनाएं दी जाती हैं। काम करने के बाद रुपये नहीं दिए जाते हैं। हालाँकि, जब इसकी भनक माफिया को लगी तो परिवारवालों को धमकियां दी जाने लगी। इसकी शिकायतें भी थाने में की गई, किन्तु कार्रवाई तो दूर पुलिस उलटे जूनियर कलाकारों को ही केस वापस करने को कह रही है। भोजन और पानी भी नहीं उपलब्ध कराना बड़ी शिकायत है।

जूनियर कलाकार गवाहों ने बताया कि सबसे ज्यादा अत्याचार जूनियर महिला कलाकारों पर होता है। उनके साथ यौन शोषण के साथ कार्यावधि ज्यादा किन्तु पारिश्रमिक काफी कम मिलता है। केरल में जन्मी और पली-बढ़ी गीथा जे. जो अब न्यू कैस्टल यूनिवर्सिटी, ग्रेट ब्रिटेन में फ़िल्म प्रैक्टिस पढ़ाती हैं, उसने साफ शब्दों में कहा कि केरल का पूरा फ़िल्म उद्योग सड़ चुका है। अप्रैल, 2010 में ख्याति को चूम रहे थिलाकन को “सच” बोलने की सजा मिल गई थी। फिल्में मिलनी बंद हो गई थी। 2022 में एक्टर- प्रोड्यूसर विजय बाबू पर महिला अभिनेत्री से दुष्कर्म का आरोप लगने के बाद आंतरिक शिकायत कमिटी का गठन भी दिखावा साबित हुआ। निराश होकर तीन महिला सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया। विरोध प्रदर्शन हुए, किन्तु परिणाम शून्य। वाम सरकार के समर्थन से यह माफिया उद्योग में तब्दील हो गया। हेमा कमिटी की रिपोर्ट बहुत देर से ही सही सार्वजनिक होने के बाद भी दोषियों को बचाने की जी-तोड़ कोशिश के कारण केरल की फ़िल्म इंडस्ट्री ध्वस्त हो गई।

(लेखक, महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार के मीडिया विभाग के अध्यक्ष हैं।)

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