नई दिल्ली, 04 सितम्बर (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट में आठ सामाजिक हस्तियों ने एक याचिका दायर करके गाजा में युद्ध के दौरान इजराइल को हथियार और अन्य सैन्य उपकरण निर्यात करने वाली भारत की कंपनियों के लाइसेंस रद्द करने की मांग की है।
सेवानिवृत्त राजनयिक अशोक कुमार शर्मा, पूर्व आईएएस मीना गुप्ता, पूर्व आईएफएस देब मुखर्जी, दिल्ली यूनिवर्सिटी के सोशल साइंस के पूर्व डीन प्रोफेसर अचिन विनायक, मशहूर प्रोफेसर ज्यां द्रेज, मशहूर कर्नाटक शास्त्रीय संगीतकार थोडूर मडाबुसी कृष्णा, सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. दर्ष मांदर और मजदूर किसान शक्ति संगठन के निखिल डे की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने याचिका दायर की है। याचिका में नए लाइसेंस देने पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय करार पर भारत ने हस्ताक्षर करते हुए कहा है कि नरसंहार को रोकने के लिए अपनी शक्ति के भीतर सभी उपाय करने के लिए बाध्य है। इसलिए वह इजराइल को कोई सैन्य उपकरण या हथियार निर्यात नहीं कर सकता है। वो भी तब जब इस बात का गंभीर खतरा हो कि इन हथियारों का इस्तेमाल युद्ध अपराध करने के लिए किया जा सकता है।
इस याचिका में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के 26 जनवरी के फैसले का हवाला दिया गया है, जिसके तहत उसने गाजा पट्टी में अपराध की रोकथाम और सजा पर कन्वेंशन के तहत दायित्वों के उल्लंघन के लिए इज़राइल के खिलाफ अनंतिम उपायों का आदेश दिया था। याचिकाकर्ताओं के मुताबिक सैन्य हथियारों की निरंतर आपूर्ति भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत भारत के दायित्वों का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया है कि भारत को इजराइल को दी जाने वाली अपनी सहायता, विशेष रूप से सैन्य उपकरणों सहित अपनी सैन्य सहायता को तत्काल निलंबित कर देना चाहिए, क्योंकि इस सहायता का उपयोग जेनोसाइड कन्वेंशन, अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून या सामान्य अंतरराष्ट्रीय कानून के अन्य अनिवार्य मानदंडों के उल्लंघन करने के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा भारत को यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल हरसंभव प्रयास करना चाहिए कि इजराइल को पहले से दिए गए हथियारों का इस्तेमाल नरसंहार करने, नरसंहार के कृत्यों में योगदान देने या ऐसे तरीके से उपयोग न किया जाए, जिससे अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन हो।