ममता बनर्जी के बयान पर सुप्रीम कोर्ट के वकील ने दर्ज कराई शिकायत

नई दिल्ली/ कोलकाता, 29 अगस्त (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट के एक वकील विनीत जिंदल ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ उनके ‘उकसाऊ’ बयान को लेकर दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। इस बयान में उन्होंने कथित तौर पर चेतावनी दी थी कि अगर बंगाल में अशांति फैलाने की कोशिश की गई तो अन्य राज्यों में भी हिंसा और अशांति हो सकती है। जिंदल ने गुरुवार को ये शिकायत दर्ज कराई है।

ममता बनर्जी ने यह बयान बुधवार को तृणमूल छात्र परिषद (टीएमसीपी), जो तृणमूल कांग्रेस का छात्र संगठन है, के स्थापना दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में दिया था। उन्होंने कहा था, “मोदी बाबू, आप अपने लोगों के जरिए बंगाल में अशांति फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन याद रखें, अगर आप बंगाल को जलाएंगे, तो असम, पूर्वोत्तर, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा और दिल्ली भी जलेंगे।”

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस बयान पर विवाद खड़ा हो गया है, खासकर तब जब कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक जूनियर डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के बाद पूरे देश में आक्रोश की लहर है। उन्होंने बुधवार को भाजपा द्वारा दिए गए 12 घंटे के ‘बंगाल बंद’ के आह्वान की भी निंदा की और इसे बंगाल को बदनाम करने का प्रयास बताया था।

ममता बनर्जी के इस बयान पर गंभीर आपत्ति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत जिंदल ने दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा के पास मुख्यमंत्री के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।

वकील ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा, “पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ दिल्ली पुलिस आयुक्त के पास शिकायत दर्ज कराई गई है। इसकी एक प्रति राष्ट्रपति कार्यालय और गृह मंत्रालय को भी भेजी गई है।”

विनीत जिंदल के अनुसार, तृणमूल प्रमुख का बयान भड़काऊ है और इसमें क्षेत्रीय नफरत और दुश्मनी भड़कने की संभावना है, जिससे राष्ट्रीय एकता और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा पैदा हो सकता है। शिकायत में कहा गया है, “उनके बयान की उकसाने वाली और भड़काऊ प्रकृति को देखते हुए, जिसका उद्देश्य भारत की जनता के बीच असंतोष और नफरत फैलाना है। क्योंकि उन्होंने अपने बयान में दिल्ली का नाम लिया है, मैं दिल्ली का निवासी होने के नाते, आदरपूर्वक अनुरोध करता हूं कि ममता बनर्जी के खिलाफ बीएनएस की धारा 152, 192, 196 और 353 के तहत प्राथमिकी दर्ज की जाए। ये अपराध संज्ञेय और गंभीर प्रकृति के हैं।”

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