नई दिल्ली, 28 अगस्त (हि.स.)। केंद्र ने कार्यस्थलों पर चिकित्सकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राज्यों को विभिन्न सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
बुधवार को गृह मंत्रालय के सचिव गोविंद मोहन और केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन के मद्देनजर राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों के साथ एक आभासी बैठक की। इस बैठक में स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) डॉ. अतुल गोयल स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। कार्यस्थलों पर डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए राष्ट्रीय कार्य बल (एनटीएफ) की रिपोर्ट मिलने तक राज्य सरकारों एवं केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा कुछ बुनियादी न्यूनतम उपाय किए जाने हैं। मंगलवार को राष्ट्रीय कार्य बल (एनटीएफ) की पहली बैठक के हुई थी।
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक बुधवार को हुई इस बैठक में राज्यों के अधिकारियों ने सार्वजनिक और निजी अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों और अन्य स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों में स्वास्थ्य कर्मियों के लिए सुरक्षा बढ़ाने और सुरक्षित कार्य वातावरण प्रदान करने के लिए संबंधित सरकारों द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी दी। 26 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर) ने बताय़ा कि वहां पहले से ही राज्य कानून का उचित कार्यान्वयन किया जा रहा है। इसके साथ स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा के लिए ओडिशा, पुडुचेरी, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, त्रिपुरा, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल को आवश्यक कानून बनाने का आग्रह किया गया।
राज्यों के साथ बातचीत करते हुए, गृह मंत्रालय के सचिव गोविंद मोहन ने अधिकारियों से उच्च उपस्थिति वाले अस्पतालों में अंधेरी जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाना, स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों के लिए 112 हेल्पलाइन के साथ एकीकरण, भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के नियमों को स्थानीय भाषा में लोगों के साझा करने का अनुरोध किया।
इससे पहले 23 अगस्त को केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने सभी राज्यों को पत्र लिख कर चिकित्सकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के उपाय करने के निर्देश दिए। अपूर्व चंद्रा ने स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए राज्य के कानूनों और भारतीय न्याय संहिता की संबंधित धाराओं में मिलने वाली सजा और सजा के विवरणों को स्थानीय भाषा और अंग्रेजी में अस्पताल परिसर में प्रमुख स्थानों पर प्रदर्शित करने पर जोर दिया। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने पत्र में अस्पताल सुरक्षा समिति और हिंसा रोकथाम समिति के गठन का आह्वान किया गया, जिसमें वरिष्ठ डॉक्टर और प्रशासनिक अधिकारी सदस्य के रूप में शामिल हों, ताकि उचित सुरक्षा उपायों की रणनीति बनाई जा सके और उन्हें लागू किया जा सके।
अस्पताल आने वाले मरीज के परिचारकों या रिश्तेदारों के लिए सख्त आगंतुक पास नीति की आवश्यकता पर जोर दिया गया। पत्र में रात की ड्यूटी के दौरान अस्पताल के तमाम ब्लॉकों, छात्रावास भवनों और अन्य क्षेत्रों में रेजिडेंट डॉक्टरों और नर्सों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए प्रावधान करने का आह्वान किया गया। इसमें अस्पताल से अस्पताल के सभी क्षेत्रों में विशेषकर डार्क स्पाट वाले क्षेत्रों में उचित रोशनी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया।