डॉ. रमेश ठाकुर
कुश्ती का कितना दबदबा इस मर्तबा हरियाणा विधानसभा चुनाव में रहेगा? इसको लेकर तो चर्चाएं आम हैं ही, लेकिन एक और कारण है जिसके चलते मौजूदा चुनाव बड़े दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गया है। जाट लैंड के नाम से विख्यात हरियाणा में इस बार चुनावी मुद्दे एकाध नहीं, बल्कि बहुतेरे हैं। कुश्ती की किचकिच, बृजभूषण सिंह और विनेश फोगाट के बीच चिंगारी की भांति भड़कता प्रकरण, जाट आंदोलन, किसान मूवमेंट, चुनाव से पहले नेताओं द्वारा दलबदल, आपसी खींचतान के इतर एक ऐसा अलहदा और नया रौचक मुद्दा उभरा हुआ है। मुद्दा किसी सियासी खिलाड़ी से नहीं, बल्कि घुड़सवार खिलाड़ी से वास्ता रखता है। किरदार का नाम है श्वेता मिर्धा। श्वेता के अचानक सियासत में कूदने से राजनीतिक समीकरण अपने आप बदल गए हैं। श्वेता की आमद ने जहां कांग्रेस में नई जान फूंकी है, तो वहीं भाजपा के चुनावी गणित-भूगोल की ऐसी की तैसी कर दी है।
श्वेता मिर्धा बेशक सियासी गलियारों में अपरिचित नाम हो और अनसुना भी। पर, ये नाम हरियाणा विधानसभा चुनाव में अचानक चर्चाओं में आया है। अगर थोड़ा विस्तार से पूरे माजरे को समझें तो मौजूदा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस विनेश फोगाट में अपना भविष्य तलाश रही है। कांग्रेस चाहती है विनेश कांग्रेस का दामन थामे और सियासी लड़ाई में छलांग लगाकर उनकी बैतरणी पार लगाए। लेकिन उनके अथक प्रयासों से कमोबेश वैसा हो न सका। कांग्रेस के स्थानीय नेताओं से लेकर शीर्ष लीडरशिप विनेश को खूब मनाती रही, तरह-तरह के लोभ-लालच दिए गए, लेकिन विनेश नहीं मानी। आखिरकार विनेश के मानने की खबर आई है। उन्हें मनाया किसी नेता ने नहीं, बल्कि एक खिलाड़ी ने मनाया है। खिलाड़ी का नाम है श्वेता मिर्धा। कांग्रेस इन दोनों के जरिए 90 में कम से कम 60 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य बनाकर चल रही है।
सट्टा बाजार तो भविष्यवाणी ही कर चुका है कि अगर विनेश कांग्रेस का प्रचार भी कर देती हैं तो 56 से 60 सीटें जीत सकती हैं। कांग्रेस किसी भी सूरत में विनेश को चुनाव में उतारकर इस बार का चुनावी मैदान फतह करना चाहती है। श्वेता मिर्धा कोई और नहीं, हरियाणा कांग्रेस के कद्दावर नेता व युवा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा की पत्नी हैं। युवा हैं। उच्चशिक्षित हैं। इसके अलावा श्वेता सफल अंतरराष्ट्रीय घुड़सवार खिलाड़ी भी हैं। उन्होंने तमाम इंटरनेशनल घुड़सवारी प्रतियोगिताओं में गोल्ड मेडल जीते हैं। ऐसा भी नहीं है कि वह राजनीति से अनभिज्ञ हैं। सियासत उनके खून में पहले से है। राजस्थान के दिग्गज जाट नेता व पांच मर्तबा सांसद रहे नाथूराम मिर्धा की पोती हैं।
चलिए अब आते हैं मुद्दे की बात पर। कांग्रेस ने श्वेता को विनेश फोगाट को मनाने के लिए लगाया है। शुरुआती सफलता भी मिली है। पक्की खबर है कि उन्होंने विनेश फोगाट को राजनीति में आने के लिए मना लिया है। अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस विनेश से जुड़ा पेरिस ओलंपिक में पदक न मिलने के उनके विश्वव्यापी प्रकरण को चुनाव में सहानुभूति के रूप में भुनाने से नहीं चूकेगी। सूत्र बताते हैं, विनेश कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ सकती हैं। श्वेता मिर्धा, अपने पति दीपेंद्र सिंह हुड्डा और पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के साथ विनेश के दिल्ली स्थित आवास पर पहुंचकर लंबी मुलाकात कर चुकी हैं। मुलाकात के बाद संकेत मिले हैं कि अब विनेश हरियाणा विधानसभा चुनाव में कूदेंगी। चुनावी पंडित इस प्रकरण के बाद कयास लगाने लगे हैं कि अब मौजूदा चुनाव और दिलचस्प हो जाएगा, क्योंकि विनेश फोगाट चुनावी मैदान में अपनी चचेरी बहन और भाजपा नेता बबीता फोगाट से ही दो-दो हाथ करेंगी।
गौरतलब है कि हरियाणा में कुल 90 सीटें हैं जिनमें पिछले चुनाव में भाजपा ने मनोहर लाल की अगुवाई में 41 सीटें जीतकर जेजेपी के जीते 10 विधायकों का साथ लेकर सरकार बनाई थी। तब कांग्रेस ने 31 सीटें जीती थीं। दूसरे नंबर की पार्टी बनकर विपक्ष में बैठी थी। इस बार मनोहर लाल नहीं हैं, नायब सिंह सैनी हैं। अगले मुख्यमंत्री का चेहरा वही होंगे या नहीं? ये भी अभी निश्चित नहीं है। जहां तक विनेश के दबदबे की बात है तो 20 से 25 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां पहलवानों का अच्छा दबदबा है। इसलिए कांग्रेस विनेश फोगाट पर लगातार डोरे डाल रही हैं। निश्चित रूप से अगर वो आती हैं तो उनके साथ उनके कई साथी पहलवान भी कांग्रेस का दामन थाम कर चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। जब से बृजभूषण शरण सिंह के साथ विनेश का प्रकरण शुरू हुआ है, तभी से हरियाणा की खाप पंचायतें और जाट आबादी ने दूरी बनाई हुई है। इस सूरत-ए-हाल से भाजपा खुद असहज हुई पड़ी है। परिणाम क्या होंगे, उन्हें अभी से आभास हो चुका है।
श्वेता मिर्धा हुड्डा और विनेश फोगाट को लेकर युवाओं में दीवानगी है। दोनों के आह्वान पर युवा कांग्रेस को वोट कर सकते हैं। हरियाणा में पिछली बार की तरह इस बार भी आम आदमी पार्टी मौजूदा चुनाव में जोर आजमाइश कर रही है। जेजेपी के अलावा इनेलो-बसपा गठबंधन और अन्य दल भी मैदान में कूदे हुए हैं लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस-भाजपा के बीच में ही है। मौजूदा विधानसभा चुनाव में कुश्ती का कितना दबदबा रहेगा इसका असल परिणाम तो चार अक्टूबर को देखने को मिलेगा जब ईवीएम का पिटारा खुलेगा।
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)