नई दिल्ली, 25 अगस्त (हि.स.)। अगस्त के महीने में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने घरेलू शेयर बाजार में लगातार बिकवाली का दबाव बनाए रखने की कोशिश की है, जिसकी वजह से सेंसेक्स में ऊपरी स्तर से करीब 1,043 अंक और निफ्टी में ऊपरी स्तर से करीब 255 अंक तक की गिरावट आ चुकी है। वैश्विक स्तर पर बढ़ते जियो पोलिटिकल टेंशन और जापान की मुद्रा येन में ‘कैरी ट्रेड’ के बंद होने से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक इस महीने शुद्ध बिकवाल की भूमिका में आ गए हैं।
अगस्त में अभी तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने घरेलू शेयर बाजार में खरीद बिक्री मिला कर 16,305 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री की है। जानकारों का कहना है कि जापान की मुद्रा येन में कैरी ट्रेड बंद होने से विदेशी निवेशकों ने अपना पैसा निकालना शुरू कर दिया है। कैरी ट्रेड का मतलब कम ब्याज दर वाले देश से पैसा निकाल कर दूसरे देश के एसेट्स में निवेश करना होता है। बैंक ऑफ जापान ने हाल में ही ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है, जिसकी वजह से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने जापान में अपना निवेश बढ़ाने के लिए भारत समेत दूसरे स्टॉक मार्केट से पूंजी की निकासी शुरू कर दी है।
शेयर बाजार के एक्सपर्ट्स का मानना है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक जून और जुलाई के महीने में नेट बायर की भूमिका निभा रहे थे, जिसकी वजह से शेयर बाजार की चाल में लगातार तेजी बनी हुई थी। जून के महीने में विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार में 26,565 करोड़ रुपये की खरीदारी की थी। इसी तरह जुलाई के महीने में भी विदेशी निवेशकों द्वारा 32,365 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया गया था। इन दो महीनों की तेजी के बाद अब विदेशी निवेशक मुनाफा वसूली करके अपना पैसा निकालने में जुट गए हैं, जिसका असर घरेलू शेयर बाजार की चाल पर भी पड़ा है। इसके अलावा शेयर बाजार के हाई वैल्यूएशन और कंपनियों के तिमाही नतीजों की वजह से भी विदेशी निवेशकों द्वारा बिकवाली की जा रही है। और तो और, इस बार के बजट में इक्विटी इन्वेस्टमेंट पर कैपिटल गैन टैक्स में बढ़ोतरी करने का प्रावधान शामिल करने की वजह से भी विदेशी निवेशकों ने घरेलू शेयर बाजार में बिकवाली का दबाव बढ़ा दिया है।
शेयर मार्केट एनालिस्ट प्रकाश गाबा का मानना है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक अभी बिकवाल की भूमिका में जरूर बने हुए हैं लेकिन पिछले कारोबारी सप्ताह में घरेलू संस्तागत निवेशकों ने जिस तरह से आक्रामक लिवाली की है, उससे सामान्य परिस्थितियों में घरेलू शेयर बाजार में बड़ी गिरावट आने की आशंका टलती हुई नजर आ रही है। पिछले सप्ताह के दौरान विदेशी निवेशकों की बिकवाली के कारण शेयर बाजार में कुछ दबाव तो जरूर बना लेकिन डीआईआई के एक्टिव होकर लिवाली करने से छोटे निवेशक बड़े नुकसान से बच गए।
इसी तरह धामी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट प्रशांधामी के मुताबिक घरेलू घरेलू संस्थागत निवेशकों द्वारा प्रतिकूल परिस्थितियों में मजबूती से खरीदारी करने का ट्रेंड पिछले दो-तीन सालों के दौरान काफी तेजी से बढ़ा है, जिसकी वजह से अब घरेलू शेयर बाजार को विदेशी निवेशक अपनी मर्जी के मुताबिक उठा या गिरा नहीं सकते हैं। विदेशी निवेशक जब भी भारतीय स्टॉक मार्केट में बिकवाली का दबाव बनाने की कोशिश करते हैं, तब घरेलू संस्थागत निवेशक आक्रामक अंदाज में खरीदारी शुरू कर देते हैं, जिससे बाजार आमतौर पर बड़ी गिरावट से बच जाता है। ऐसा होने से खुदरा निवेशक भी बड़े नुकसान का सामना करने से बच जाते हैं। घरेलू संस्थागत निवेशकों की ओर से खरीदारी करने का ये ट्रेंडल देश की अर्थव्यवस्था में लगातार आ रही तेजी को भी दर्शाता है।