जन्माष्टमी पर विशेष: किस रंग के पहनें वस्त्र और किस समय करें पूजा

डॉ. श्रीगोपाल नारसन (एडवोकेट)

भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रात 12 बजे के समय श्रीकृष्ण ने कंस का अंत करने के लिए ही धरती पर जन्म लिया था। तभी से उनके जन्मदिन को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस बार पंचांग के अनुसार, भाद्रपद कृष्ण अष्टमी के दिन सुबह 5 बजकर 55 मिनट से 7 बजकर 36 मिनट तक अमृत चौघड़िया रहने वाला है। ये योग पूजा के लिए शुभ है। इसके बाद अमृत चौघड़िया पूजन का मुहूर्त 3 बजकर 36 मिनट 6 बजकर 48 मिनट तक है। निशीथ काल में भी आप पूजा कर सकते हैं, जो रात में 11 बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 1 मिनट तक है।

भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को लेकर भक्तों में प्राचीन काल से अलग ही उत्साह और धूम देखने को मिलती है। इस दिन भक्त सच्चे मन से भगवान की पूजा-अर्चना कर उनके नाम का उपवास रखते हैं। रात्रि में जन्मकाल के समय भगवान को स्नानादि करा छप्पन भोग का प्रसाद चढ़ाया जाता है। इसके बाद श्रीकृष्ण के जन्म के समय विशेष पूजा की जाती है।

वैसे तो भगवान श्रीकृष्ण न केवल हमारे पूज्य देव हैं बल्कि उनकी शिक्षा और उनका दिखाया मार्ग समाज जीवन के लिए बहुत उपयोगी है। महाभारत के युद्ध के समय कुरूक्षेत्र की रणभूमि में दिया गया उनका संदेश विश्वभर के लिए एक जीवन विधा और नीति शास्त्र है, जिसे हम सब श्रीमद्भगवद् गीता के नाम से जानते हैं या गीता का संदेश कहते हैं। इसमें धर्म, अध्यात्म, ज्ञान, योग, कर्म आदि सब प्रकार की शिक्षा दी गई है। वस्तुतः गीता कोई धर्म ग्रन्थ नहीं बल्कि एक जीवन दर्शन है। यहां उस ज्ञान की चर्चा न करके केवल भक्ति भाव से श्रीकृष्ण को अपना सखा मानने वाली भावना से उनके चरित्र और उनकी आराधना का वर्णन कर रहे हैं।

इस बार जन्माष्टमी पर चंद्रमा वृषभ राशि में ही विराजमान रहेंगे। माना जाता है कि जब कृष्ण भगवान का जन्म हुआ था तब भी ऐसा ही योग बना था। इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी सोमवार को मनाई जा रही है। सोमवार के दिन ही भगवान कृष्ण का नामकरण हुआ था। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग भी बन रहा है।

जन्माष्टमी भले ही रंगों का त्यौहार न हो, लेकिन इस दिन अलग-अलग रंग के कपड़ों का अलग महत्व होता है। कुछ रंगों के कपड़ों को पहनना बहुत शुभ माना जाता है। कुछ रंग तो भगवान श्रीकृष्ण को बेहद प्रिय रहे हैं और इन रंगों को पहनने से व्यक्ति को मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है। वैसे तो त्योहार के दिन किसी भी हल्के रंग के कपड़ों को पहनना शुभ माना जाता है, मगर कुछ रंगों का चयन अत्यंत लाभकारी होता है। भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अपने मन में श्रद्धा और भक्ति रखकर अपने कपड़ों के लिए मन-मुताबिक रंग का ड्रेस खरीद सकते हैं। गुलाबी रंग प्रेम और सुख का प्रतीक है। इस रंग को शुक्र ग्रह से भी जोड़कर देखा जाता है। जन्माष्टमी के दिन गुलाबी रंग के कपड़े पहन सकते हैं ,जो जीवन में प्रेम और सुख-समृद्धि का प्रतीक है। जन्माष्टमी के त्योहार के लिए लाल रंग को बेहद शुभ माना जाता है। लाल रंग ऊर्जा और साहस का प्रतीक भी माना जाता है। लाल रंग को मंगल ग्रह से भी जोड़ कर देखा जाता है। ऐसे में इस साल कृष्ण जन्माष्टमी के त्योहार पर लाल रंग के कपड़े पहनते हैं तो जीवन में भी अकूत उत्साह और ऊर्जा की वृद्धि होगी। पीला रंग भगवान विष्णु का प्रिय रंग है, धार्मिक मान्यता के अनुसार, श्रीकृष्ण उन्हीं के अवतार हैं। ऐसे में अगर जन्माष्टमी के दिन पीले रंग के कपड़े पहनते हैं तो जीवन में खुशियां और समृद्धि बनी रहती है। साथ ही भगवान कृष्ण की विशेष कृपा बनी रहती है। सफेद रंग शांति का प्रतीक है और इसे चंद्रमा से जोड़कर देखा जाता है। ऐसे में सफेद रंग के कपड़े पहने तो जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बढ़ती है। नीला रंग को सीधे तौर पर भगवान श्रीकृष्ण से जोड़कर देखा जाता है। नीले रंग का कपड़ा पहनने से मानसिक शांति मिलती है, साथ ही जीवन की अन्य परिस्थितियों में भी संतुलन बना रहता है। हरे रंग को हरियाली से जोड़कर देखा जाता है। साथ ही हरे रंग को खुशहाली का प्रतीक भी माना जाता है। ऐसे में जन्माष्टमी के दिन अगर आप हरे रंग का कपड़ा पहते हैं तो भगवान कृष्ण की कृपा हमेशा बनी रहती है।

जन्माष्टमी पर लाखों कृष्ण भक्त मंदिर में ठाकुरजी के बाल रूप के दर्शन करने पहुंचते हैं। मथुरा और वृंदावन में तो जन्माष्टमी की धूम रहती है। जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का प्रतीक है, जो अधर्म पर धर्म की विजय और प्रेम, भक्ति, और ज्ञान का संदेश देता है। जन्माष्टमी पर सबसे प्रिय और सर्वत्र गाया जाने वाला गान है,”नन्द के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की, हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की।”

श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान द्वारा घोषित कार्यक्रम के अनुसार, जन्माष्टमी के उत्सव की शुरुआत 26 अगस्त को सुबह 5.30 बजे मंगला आरती से होगी। इसके बाद, सुबह 8.00 बजे भगवान का पंचामृत अभिषेक किया जाएगा। रात्रि 11.00 बजे से मुख्य कार्यक्रमों का शुभारंभ होगा, जिसमें श्रीकृष्ण के जन्म की महाआरती का आयोजन विशेष आकर्षण होगा। मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्रों को भव्य रूप से सजाया गया है, जिससे श्रद्धालु यहां आकर आस्था और भक्ति के वातावरण में डूब सकें।

वृंदावन, जिसे भगवान श्रीकृष्ण की लीलास्थली कहा जाता है, में जन्माष्टमी का पर्व 27 अगस्त को मनाया जाएगा। वृंदावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में इस अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन होगा। बांके बिहारी मंदिर में जन्माष्टमी के दिन ही विशेष मंगला आरती की जाती है, जिसे देखने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। जन्माष्टमी की रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण का बाला महाभिषेक किया जाएगा, जो कि करीब 2 घंटे तक चलेगा। यह अभिषेक केवल एक बार, इसी दिन किया जाता है। इसके बाद ठाकुर जी को पीतांबरी पोशाक और चिरौंजी मेवे से बनी पंजीरी का भोग लगाया जाएगा। इस महाभिषेक और मंगला आरती को देखने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ेगी, जिससे पूरे वृंदावन का वातावरण भक्तिमय हो जाएगा।

(लेखक, आध्यात्मिक चिंतक व वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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