– रक्षा मंत्री ने भारत के समुद्री हितों की रक्षा करने में आईसीजी की भूमिका को सराहा – तटरक्षक वायु एन्क्लेव समुद्री सुरक्षा मजबूत करने में भूमिका निभाने के लिए तैयार
नई दिल्ली, 18 अगस्त (हि.स.)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को चेन्नई में नवनिर्मित अत्याधुनिक भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) के समुद्री बचाव समन्वय केंद्र (एमआरसीसी) का उद्घाटन किया। उन्होंने चेन्नई में आईसीजी क्षेत्रीय समुद्री प्रदूषण प्रतिक्रिया केंद्र (आरएमपीआरसी) और पुडुचेरी में तटरक्षक वायु एन्क्लेव का भी उद्घाटन किया। यह तीनों सुविधा केंद्र समुद्री सुरक्षा मजबूत करने और आपात स्थितियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं, जिससे सामुद्रिक सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता और मजबूत होगी।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को आज चेन्नई पहुंचने पर भारतीय तटरक्षक दल की टुकड़ी ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। चेन्नई में नेपियर ब्रिज के पास बनाया गया समुद्री बचाव समन्वय केंद्र समुद्री संकट में फंसे नाविकों और मछुआरों के लिए सामुद्रिक बचाव कार्यों में समन्वय बढ़ाएगा। एमआरसीसी में स्थलीय और उपग्रह प्रणालियों के माध्यम से संकट की निगरानी के लिए नवीनतम उपकरण स्थापित किए गए हैं। यह अत्याधुनिक सुविधा केंद्र खोज और बचाव प्रक्रियाओं में विशेषज्ञता रखने वाले भारतीय तटरक्षक बल के उच्च प्रशिक्षित कर्मियों के साथ उन्नत संचार प्रणालियों से भी लैस है, जिसमें बचाव विमान, जहाज और अन्य सुविधाएं शामिल हैं। यह अत्याधुनिक सुविधा केंद्र भारत के पूर्वी तट और उससे आगे सभी समुद्री बचाव कार्यों के समन्वय के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में कार्य करने के साथ ही मछुआरों और नाविकों की सुरक्षा करेगा।
रक्षा मंत्री ने चेन्नई बंदरगाह परिसर में स्थित आईसीजी क्षेत्रीय समुद्री प्रदूषण प्रतिक्रिया केंद्र (आरएमपीआरसी) का भी उद्घाटन किया। आईओआर में समुद्री प्रदूषण के समन्वय के लिए चेन्नई में इस केंद्र के निर्माण की घोषणा रक्षा मंत्री ने 22 नवंबर, 2022 को कंबोडिया में आयोजित पहली भारत-आसियान बैठक के दौरान की थी। क्षेत्र में अपनी तरह का पहला केंद्र होने के नाते तटीय राज्यों से सटे सागर में समुद्री प्रदूषण की घटनाओं, तेल और रासायनिक रिसाव के समय महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। समुद्री तेल प्रदूषण की घटनाओं की निगरानी के लिए इस केंद्र के पास 24 घंटे का आपातकालीन प्रतिक्रिया केंद्र होगा। यह केंद्र बंदरगाहों, तेल हैंडलिंग एजेंसियों, सरकारी संगठनों और निजी प्रतिभागियों जैसे विभिन्न संगठनों को प्रदूषण प्रतिक्रिया तकनीकों में प्रशिक्षण भी देगा। इसके अलावा आरएमपीआरसी समुद्र में तेल प्रदूषण से निपटने के लिए मित्र देशों को भी प्रशिक्षित करेगा।
रक्षा मंत्री ने पुडुचेरी में तटरक्षक वायु एन्क्लेव का भी उद्घाटन किया, जो आईसीजी के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह पुडुचेरी और दक्षिण तमिलनाडु तट पर सामुद्रिक सुरक्षा को मजबूत करने में सहायक होगा। यह एयर एन्क्लेव चेतक और एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) स्क्वाड्रन से लैस होगा। दोनों स्वदेशी हेलीकॉप्टर समुद्र में गश्त करने वाले तटरक्षक जहाजों के साथ खोज, बचाव और अन्य मिशनों को अंजाम देने में सक्षम हैं। इससे आईसीजी की हवाई निगरानी और प्रतिक्रिया क्षमता बढ़ेगी।
सभा को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने समुद्र में लोगों की जान बचाने और भारत के समुद्री हितों की रक्षा करने में आईसीजी की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने समुद्र से उत्पन्न होने वाले पारंपरिक और गैर-पारंपरिक दोनों तरह के खतरों को विफल करने के लिए समुद्री क्षेत्र में सभी एजेंसियों से 24×7 सतर्कता, समन्वय और सक्रिय दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया। रक्षा मंत्री ने समर्पित और प्रतिबद्ध प्रयासों के माध्यम से विशाल तटरेखा को सुरक्षित करने में आईसीजी के कर्मियों के प्रयासों की प्रशंसा की। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि प्रमुख समुद्री एजेंसी आईसीजी संयुक्त हित के क्षेत्रों में समान समुद्री एजेंसियों के साथ समन्वय सहित तटीय मामलों में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभरी है।