नई दिल्ली, 16 अगस्त (हि.स.)। बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों के विरोध में शुक्रवार को नारी शक्ति फोरम ने पैदल मार्च किया। इस संबध में नारी शक्ति फोरम ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक ज्ञापन भी सौंपा। बांग्लादेश में हिंदू तथा अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की लक्षित हत्या, लूटपाट, आगज़नी, महिलाओं के साथ जघन्य अपराध तथा मंदिर एवं अन्य श्रद्धास्थानों पर हमले जैसी असहनीय क्रूरता के खिलाफ एवं अत्याचार समाप्त करने के लिए भारत सहित पूरे विश्व में प्रयास हो इस बात पर भी बल दिया गया।
नारी शक्ति फोरम ने दिल्ली के मंडी हाउस से जंतर मंतर तक मौन विरोध प्रदर्शन नारी शक्ति मार्च के रूप में किया। इस मार्च में समाज जीवन के सभी क्षेत्रों में कार्यरत एवं सक्रिय महिलाओं ने हिस्सा लिया। इसमें बड़ी संख्या में प्रोफेसर, अध्यापिकाएं, डॉक्टर, महिला अधिवक्ता, बैंककर्मी, इंजीनियर, नर्स, गृहणी, उद्योगकर्मी, रिटायर्ड आईपीएस, आईएफएस और आईएएस महिला अधिकारी शामिल थीं। बांग्लादेश में प्रताड़ना के शिकार बने हिंदू, बौद्ध इत्यादि समुदायों के साथ एकजुटता का प्रदर्शन करने तथा उनके साथ हो रही हिंसा का विरोध करने के लिए एवं उपस्थित जन समुदाय ने अपने मुख पर काली पट्टी बांध रखी थी। नारी शक्ति फोरम की संयोजिका मोनिका अरोड़ा, पदमश्री से सम्मानित जानी-मानी कथक नृत्यांगना उमा शर्मा, बांग्लादेश में भारत की राजनियक रहीं सीमा सीकरी तथा जेएनयू की प्रोफेसर ज्योति राज एवं अनेक प्रबुद्ध महिलाओं ने मंडी हाउस एवं जंतर मंतर पर इस प्रदर्शन को संबोधित किया। जंतर मंतर पर मार्च को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने याद दिलाया कि आज 16 अगस्त है। आज ही के दिन 16 अगस्त 1946 को द्वि-राष्ट्र सिद्धांत पर भारत से अलग देश पाकिस्तान की मांग मनवाने के लिए मुस्लिम लीग ने कलकत्ता में डायरेक्ट एक्शन डे की शुरुआत की थी जिसमें हजारों हिंदुओं को मौत के घाट उतार दिया गया था। वर्तमान में बांग्लादेश में फिर वहीं दोहराया जा रहा है। कट्टरपंथी जमातों के जिस तरह से हिंदूओं पर हमले बढ़ रहे है उससे वहां रहने वाले हिंदू परिवार खौफ में जी रहे हैं।