संस्कार भारती बंगाल के कीर्तन को शास्त्रीय मान्यता दिलाने के लिए सक्रिय होगी

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कोलकाता, 11 अगस्त (हि.स.)। बंगाल के कीर्तन को शास्त्रीय संगीत के रूप में मान्यता दिलाने के लिए संस्कार भारती आगे आई है। कोलकाता के बागबाजार गौड़ीय मठ सभा कक्ष में आयोजित 37वीं वार्षिक साधारण सभा में संस्कार भारती पश्चिम बंगाल राज्य समिति ने इस प्रस्ताव को स्वीकृति दी।

बंगाल में कीर्तन की कई शैलियां हैं, जैसे लीला, पदावली, रासलीला आदि। बंगाल के कलाकार इन नामों से कीर्तन प्रस्तुत करते हैं, लेकिन अब तक केंद्र सरकार ने इसे शास्त्रीय संगीत का दर्जा नहीं दिया है। संस्कार भारती अब इस दिशा में कदम उठाएगी और केंद्र से इस मांग को प्रस्तुत करेगी।

बंगाल के कीर्तन को अभी तक उचित मान्यता नहीं मिल पाई है, जबकि चर्यापद में जिस प्रबंधगीत का उल्लेख मिलता है, उसका ही परवर्ती रूप बंगाल का कीर्तन है। इसी प्रबंध संगीत से ध्रुपद, धमार आदि की उत्पत्ति हुई और उन्हें शास्त्रीय दर्जा प्राप्त हुआ। फिर बंगाल के कीर्तन को शास्त्रीय दर्जा क्यों नहीं मिलना चाहिए? इसी सवाल को लेकर संस्कार भारती पश्चिम बंगाल राज्य समिति ने अपनी आवाज बुलंद की है।

अन्य राज्यों की सरकारें अपनी प्रांतीय संस्कृति को शास्त्रीय मान्यता दिलाने के लिए केंद्र से मांग करती हैं, जिसके आधार पर केंद्र कदम उठाता है। लेकिन दुर्भाग्यवश बंगाल की किसी भी सरकार ने अब तक ऐसी मांग नहीं उठाई, जिससे राज्य के हजारों कलाकार इस मान्यता से वंचित रह गए हैं। अब संस्कार भारती इस दिशा में पहल करेगी।

इस दिन की बैठक में दक्षिण बंगाल प्रांत के 14 जिलों से 70 कलाकारों ने भाग लिया। बैठक में पांच प्रस्तावों को मंजूरी दी गई, जिनमें सबसे प्रमुख था ‘बंगाब्द के प्रवर्तक महाराजा शशांक’ के दावे को बंगाल में स्थापित करना।

संस्था के प्रस्ताव में कहा गया, “स्वतंत्र और संप्रभु गौड़ के शासक शशांक ने अपने शासनकाल की शुरुआत को यादगार बनाने के लिए सूर्यसिद्धांत पर आधारित कैलेंडर बंगाब्द की शुरुआत की। वहीं से बंगाब्द का प्रचलन हुआ। इसलिए बंगाब्द के प्रवर्तक महाराजा शशांक हैं। इस ऐतिहासिक सत्य को बंगाल की संस्कृति में स्थापित करने के लिए संस्कार भारती प्रतिबद्ध है।”

इसके अलावा, संस्कार भारती ने गौलड़ीय नृत्य की शास्त्रीय मान्यता की भी मांग की। यह नृत्य भारतीय बंगाली पारंपरिक शास्त्रीय नृत्य कला का एक रूप है, जो प्राचीन काल में बंगाल क्षेत्र के मंदिरों में विकसित हुआ था। इस नृत्य का उल्लेख प्राचीन बंगाली कवियों द्वारा भी किया गया है।

संस्कार भारती ने बंगाल के नाट्य समूहों के माध्यम से फैलाए गए ‘सांस्कृतिक मार्क्सवाद’ के खिलाफ वैचारिक संघर्ष जारी रखने का भी संकल्प लिया। संस्था ने यह भी कहा कि उसने समान विचारधारा वाले 55 समूहों को एक छत के नीचे लाने का दावा किया है। संस्कार भारती यह सुनिश्चित करेगी कि पश्चिम बंगाल के दूरदराज के नाट्य समूहों को केंद्र सरकार से विभिन्न अनुदान मिलते रहें।

बैठक में स्वरूप प्रसाद घोष को अध्यक्ष, तिलक सेनगुप्ता को महासचिव, अमित दे को सह महासचिव और गोपाल कुंडू को कोषाध्यक्ष चुना गया।

संस्कार भारती दक्षिण बंगाल प्रांत के महासचिव तिलक सेनगुप्ता ने कहा, “आने वाले दिनों में संस्कार भारती कीर्तन सम्मेलन का आयोजन करेगी।”

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