कानून और स्वास्थ्य सेवाओं का लक्ष्य समाज की बेहतरी: डी.वाई. चंद्रचूड़ पीजीआई चंडीगढ़ के दीक्षांत समारोह में चिकित्सकों को दी डिग्रियां

चंडीगढ़, 10 अगस्त (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि कानून और स्वास्थ्य सेवाओं का एक ही लक्ष्य होता है। दोनों समाज की बेहतरी के लिए काम करते हैं। जिस प्रकार हम गवाह और सबूतों के आधार पर किसी भी मामले की सुनवाई करते हैं, इसी प्रकार डॉक्टर भी मरीज की जांच रिपोर्ट और उसके लक्षणों के आधार पर उसका इलाज करते हैं।चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ शनिवार को पीजीआई चंडीगढ़ में आयोजित दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि भाग ले रहे थे। उन्होंने यहां पर 80 डॉक्टरों को मेडल देकर सम्मानित किया और 508 डॉक्टरों को डिग्री प्रदान की है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि चंडीगढ़ एक अर्बन प्लानिंग का बेहतरीन हिस्सा है। यहां पर कैपिटल कॉम्प्लेक्स, पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट, सुखना लेक इसके अच्छे उदाहरण हैं। उन्होंने बताया कि 2021 में वह अपने परिवार के साथ शिमला घूमने जा रहे थे, तभी उनकी बेटी प्रियंका को सांस लेने में तकलीफ हो गई थी। इसके बाद उसे इसी अस्पताल में दाखिल कराया गया था। जहां पर उसका 6 हफ्ते तक इलाज चला। जिसके बाद वह ठीक होकर लौटी थी।पीजीआई में पहुंचने से पहले उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में एक नेशनल कांफ्रेंस का उद्घाटन किया। यह नेशनल कांफ्रेंस अदालत में टेक्नोलॉजी के उपयोग पर रखी गई है। जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से जज यहां पर पहुंचे हुए हैं।इस मौके पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि टेक्नोलॉजी के माध्यम से न्यायपालिका को आम नागरिकों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण योगदान होगा। टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल न्याय सबके द्वार सुनिश्चित करने के लिए किया जाना चाहिए। ई-कोर्ट का तीसरा चरण शुरू होने वाला है। केंद्र सरकार की तरफ से इसके लिए 7000 करोड़ रुपए का बजट भी दे दिया गया है। बुनियादी ढांचा बढ़ाया जाना जरूरी है। अदालतों में पेंडिंग केंसों का कारण है कि अदालतों में लोगों का विश्वास बढ़ रहा है। नए माध्यमों को अपनाना होगा। सुप्रीम कोर्ट में भी लोक अदालतों का आयोजन शुरू किया गया है। जिसके माध्यम से पांच दिनों में एक हजार केसों का निपटारा किया गया है। उन्होंने कहा कि गर्मी की छुट्टियों के दौरान जून माह में पहली बार 21 बैंचों ने काम किया है। जिसके चलते चार हजार केसों की सुनवाई की गई और 1170 केसों का निपटारा किया गया।

चीफ जस्टिस ने कहा कि देश की जनता को उनकी भाषा में शीघ्र व सरल न्याय मिले इसके लिए एआई की भूमिका लगातार बढ़ती जा रही है। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की भाषा अंग्रेजी है। यहां हर राज्य के लोग आते हैं और हर राज्य के न्यायधीश यहां तक पहुंचते हैं। चंद्रचूड़ ने कहा कि एआई की मदद से सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को क्षेत्रीय भाषाओं में ट्रांसलेट किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि 1950 से लेकर वर्ष 2024 तक सुप्रीम कोर्ट ने कुल 37 हजार फैसले सुनाए हैं। अभी तक 36 हजार फैसलों को हिंदी में तो 22 हजार फैसलों को पंजाबी भाषा में ट्रांसलेट किया जा चुका है। सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया जा रहा है। भविष्य में अदालती कार्यप्रणाली को सुगम बनाने के लिए एआई का बेहतर ढंग से कैसे इस्तेमाल किया जाए, इस पर लगातार मंथन करते हुए आगे बढ़ा जा रहा है।

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