यौन दुराचार का आरोप लगने के बाद नेपाल के निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति रद्द की गई

– महिला के साथ यौन दुर्व्यवहार की घटना को छिपाने के लिए 1.2 करोड़ देने का आरोप

काठमांडू, 29 जुलाई (हि.स.)। निर्वाचन आयुक्त पद पर कृष्णमान प्रधान की नियुक्ति इसलिए रद्द कर दी गई है, क्योंकि उन पर यौन दुराचार के गम्भीर आरोप लगाए जाने के बाद संसदीय सुनवाई समिति ने नियुक्ति ख़ारिज कर दी है। नेपाल की पिछली सरकार के समय संवैधानिक परिषद ने निर्वाचन आयुक्त के पद पर कृष्णमान प्रधान की नियुक्ति की सिफारिश की थी।

तत्कालीन प्रधानमंत्री पुष्पकमल दाहाल प्रचंड की अध्यक्षता वाले संवैधानिक परिषद ने विवादित व्यक्ति की सिफारिश करने पर संसदीय सुनवाई समिति में आलोचना भी की गई। नेपाल में किसी भी संवैधानिक पद पर नियुक्ति की सिफारिश होने के बाद संसद की सुनवाई समिति से अनुमोदन होने के बाद ही नियुक्ति हो पाती है।

संसद की सुनवाई समिति के अध्यक्ष आनन्द प्रसाद ढुंगाना ने कहा कि कृष्णमान प्रधान पर एक महिला के साथ यौन दुराचार और मामले को कोर्ट के बाहर निबटाने के लिए पीड़ित महिला को 1.2 करोड़ रुपये लेन-देन का लिखित आरोप लगा है। ढुंगाना ने बताया कि सुनवाई समिति ने सर्वसम्मति से प्रधान के नाम की सिफारिश को खारिज करते हुए उनकी नियुक्ति को रद्द कर दिया है।

महिला ने संसदीय सुनवाई समिति के सामने हाजिर होकर प्रस्तावित निर्वाचन आयुक्त पर खुद के साथ यौन दुर्व्यवहार करने और इसकी शिकायत किए जाने पर कोर्ट के बाहर परिवार वालों पर दबाब देकर केस वापस लेने के लिए 1 करोड़ 20 लाख रुपये देने का आरोप लगाया था। पिछले तीन दिनों से जारी सुनवाई के बाद आज संसदीय समिति ने प्रधान की नियुक्ति को रद्द किए जाने की जानकारी दी है।

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