नई दिल्ली, 22 जुलाई (हि.स.)। कांग्रेस ने सोमवार को आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 पर सवाल खड़े किए हैं। पार्टी का कहना है कि आर्थिक सर्वेक्षण अर्थव्यवस्था की मनमानी तस्वीर दिखा रहा है। इसमें अर्थव्यवस्था की सब ठीक है, वाली गुलाबी तस्वीर पेश करने की कोशिश की गई है जबकि स्थिति निराशाजनक है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान में कहा कि भारत पिछले कई वर्षों से आर्थिक रूप से सबसे अधिक अनिश्चितता और संकट से जूझ रहा है। आर्थिक सर्वेक्षण अर्थव्यवस्था की मनमानी तस्वीर दिखा सकता है, लेकिन हमें उम्मीद है कि कल का बजट देश की वास्तविकताओं के अनुरूप होगा।
उन्होंने अपने बयान में कहा कि खाद्य पदार्थों की महंगाई दर अनियंत्रित है। कोविड के बाद आर्थिक सुधार बेहद असामान हैं। वहीं आयात निर्यात असंतुलन से किसानों को नुकसान हो रहा है।
रमेश ने कहा कि समय की मांग है प्रशिक्षुता का अधिकार, गिग श्रमिकों और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सुरक्षा, न्यूनतम वेतन में 400 रुपये प्रति दिन की बढ़ोत्तरी, ‘कर आतंकवाद’ का अंत और आंगनबाड़ियों जैसी सामाजिक-सुरक्षा योजनाओं का विस्तार जरूरी है।
उन्होंने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण में सबसे शर्मनाक और आश्चर्यजनक दावा है कि ‘भयानक गरीबी पूरी तरह से समाप्त हो गई है।’ वहीं वास्तविकता यह है कि सभी भारतीयों में से आधे लोग प्रति दिन 3 वक्त के भोजन का ख़र्च भी वहन नहीं कर सकते, एनएफएचएस-5 के अनुसार, 3 में से 1 बच्चा अविकसित है और 4 में से 1 बच्चा पूरी तरह से प्रतिरक्षित नहीं है। देश का लगभग दो-तिहाई हिस्सा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत मिलने वाले मुफ़्त खाद्यान्न पर निर्भर है।
रमेश ने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार ने बेरोजगारी की स्थिति को स्वीकारा है। इसके अनुसार अगले 20 वर्षों तक हर साल लगभग 80 लाख नौकरियां पैदा करनी होंगी। सर्वेक्षण बताता है कि मेक इन इंडिया के तमाम प्रकार और दावे के बावजूद मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में रोजगार सृजन पिछले दशक में कम हुआ है।
उन्होंने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण निजी निवेश उत्पन्न करने की केन्द्र सरकार की नीति निर्धारण की विफलता को स्वीकार करता है। कार्पोरेट क्षेत्र के लिए मोदी सरकार का दृष्टिकोण बेहद उदार है।