सत्ता के लिए नेपाली कांग्रेस ओली के करीब आई, पर नहीं है भरोसा

काठमांडू, 20 जुलाई (हि.स.)। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली रविवार को संसद में विश्वास मत का प्रस्ताव पेश करेंगे। कुछ को छोड़कर अधिकतर पार्टियां ओली सरकार के विश्वास मत प्रस्ताव के समर्थन में मतदान करने का फैसला कर चुकी हैं, लेकिन ओली सरकार को समर्थन देने वाले सबसे बडे़ दल नेपाली कांग्रेस के दोनों महासचिवों ने ओली के प्रति अविश्वास प्रकट करने वाला बयान दिया है। नेपाली कांग्रेस के दोनों महासचिवों ने शनिवार को अलग-अलग कार्यक्रमों में कहा कि भले ही उनकी पार्टी सरकार में है और ओली उनकी पार्टी के समर्थन से प्रधानमंत्री बने हैं लेकिन ओली पर अभी भी पूरी तरह से विश्वास नहीं हो पा रहा है।

नेपाली कांग्रेस के महासचिव गगन थापा ने काठमांडू में एक कार्यक्रम में कहा कि सीपीएन (यूएमल)के साथ हुए समझौते को अब तक सार्वजनिक नहीं किए जाने से अविश्वास का माहौल पैदा हो रहा है। थापा ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि रविवार को जब संसद में प्रधानमंत्री ओली विश्वास का प्रस्ताव पेश करेंगे तब उनकी तरफ से उस समझौते को अवश्य सार्वजनिक करेंगे जो दोनों दलों के बीच हुआ है। थापा ने यहां तक कह दिया कि दोनों दलों में आधा-आधा कार्यकाल प्रधानमंत्री का पद संभालने को लेकर भी सहमति हुई है लेकिन अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद ओली पद छोड़ेंगे, इसको लेकर सबके मन में आशंका है। थापा ने कहा कि हम चाहे जितना भाषण दें लेकिन सच्चाई यह है कि ओली के द्वारा सत्ता का हस्तांतरण होगा, यह पूरे विश्वास के साथ नहीं कहा जा सकता है।

नेपाली कांग्रेस के दूसरे महामंत्री विश्वप्रकाश शर्मा ने कहा कि ओली का पिछला इतिहास देखते हुए उन पर आंख बंद करके भरोसा नहीं किया जा सकता है। जिस तरह का ओली का काम करने का तरीका है और जो उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में किया है उसके बाद उन पर पैनी नजर बना कर रखनी होगी। उनकी हर गतिविधि और फैसले को बहुत ही बारीकी से देखना होगा। ओली कम्युनिस्ट नेता हैं, उनकी सोच, उनकी कार्यशैली कांग्रेस जैसे लोकतांत्रिक चरित्र वाली पार्टी से मेल नहीं खाता। चाहे जिस परिस्थिति में भी इस सरकार का गठन हुआ हो लेकिन नेपाली कांग्रेस को हमेशा सजग रहना होगा।

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