मंत्री सिंघल ने की अमृत जलापूर्ति परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा

गुवाहाटी, 17 जुलाई (हि.स.)। आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री अशोक सिंघल ने आज अमृत 1.0 और अमृत 2.0 योजनाओं के तहत असम के विभिन्न शहरों में कार्यान्वित की जा रही शहरी जलापूर्ति परियोजनाओं की व्यापक समीक्षा की। जनता भवन में आयोजित बैठक में इन महत्वपूर्ण पहलों में लगे प्रमुख विभागीय अधिकारियों और ठेकेदारों के साथ समीक्षा बैठक की।

समीक्षा के दौरान मंत्री अशोक सिंघल ने ठेकेदारों को गैर-मानसून मौसमों के दौरान पाइप बिछाने की गतिविधियों को शेड्यूल करने का निर्देश दिया, जिसमें सार्वजनिक जीवन में व्यवधानों को कम करने के महत्व पर जोर दिया गया। उन्होंने ठेकेदारों को स्थानीय निवासियों और जन प्रतिनिधियों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि पाइप बिछाने के लिए सड़क खुदाई शुरू करने से पहले उनका सहयोग सुनिश्चित किया जा सके। मंत्री सिंघल ने यह भी निर्देश दिया कि पाइप बिछाने के बाद सड़क बहाली का काम 7-10 दिनों की सख्त समय सीमा के भीतर पूरा किया जाना चाहिए। इसके अलावा, मंत्री ने अमृत के प्रबंध निदेशक को ठेकेदारों के लिए परियोजना निष्पादन को सुव्यवस्थित करने और गुणवत्ता मानकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए एक विस्तृत मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) विकसित करने का निर्देश दिया।

असम में अमृत 1.0 और अमृत 2.0 के तहत परियोजनाओं के दायरे पर प्रकाश डालते हुए उल्लेख किया गया कि अमृत 1.0 के तहत, वर्तमान में तीन शहरों: नागांव, डिब्रूगढ़ और सिलचर में जलापूर्ति परियोजनाएं चल रही हैं, जिनकी परियोजना लागत क्रमशः 238.33 करोड़ रुपये, 193.93 करोड़ रुपये और 177.47 करोड़ रुपये है। अमृत 2.0 के तहत, कुल 24 शहरों को जलापूर्ति योजनाओं के लिए चुना गया है, जिनमें से 13 शहरों में कार्य आदेश पहले ही जारी किए जा चुके हैं। इन शहरों में टंगला, ढेकियाजुली, उत्तर लखीमपुर, बिहपुरिया, तेजपुर (चरण I), कोकराझार, तिनसुकिया, जोरहाट, लखीपुर (कछार), सिलचर (चरण II), बिलासीपारा, रंगिया और मार्घेरिटा शामिल हैं।

इसके अलावा, 11 अन्य जल आपूर्ति योजनाएं, जैसे टंगला (चरण II), बिस्वनाथ चरियाली, होजाई, सोनारी, शिवसागर, मां कामाख्या, आमगुरी, लंका, हाफलोंग, लमडिंग (चरण I) और लमडिंग (चरण II) कार्यान्वयन के प्रारंभिक चरण में हैं। मंत्री सिंघल ने इन महत्वाकांक्षी शहरी विकास पहलों के प्रभावी और कुशल कार्यान्वयन के लिए इंजीनियरों और परियोजना हितधारकों से नई तकनीकों को अपनाने का आग्रह करते हुए समीक्षा का समापन किया।

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