काठमांडू, 15 जुलाई (हि.स.)। नेपाल में सीपीएन-यूएमएल पार्टी अध्यक्ष केपी शर्मा ओली आज प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। उन्हें कल नई गठबंधन सरकार का चौथी बार देश का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। 72 वर्षीय ओली को चीन समर्थक माना जाता है। ओली ने पुष्प कमल दाहाल प्रचंड की जगह लेंगे। सीपीएन-माओइस्ट सेंटर के अध्यक्ष प्रचंड शुक्रवार को प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत हार गए थे। इसके बाद संविधान के अनुच्छेद 76 (2) के अनुसार नई सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू हुई।
राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने ओली को नेपाल-यूनीफाइड मार्क्सिस्ट लेनिनिस्ट (सीपीएन-यूएमएल) और नेपाली कांग्रेस गठबंधन सरकार का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया। ओली संसद में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बने। राष्ट्रपति भवन के मुख्य भवन शीतल निवास में आज सुबह 11 बजे ओली का शपथ ग्रहण समारोह होगा।
इससे पहले शुक्रवार देररात ओली ने नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश किया और प्रतिनिधि सभा के 165 सदस्यों के हस्ताक्षर वाला समर्थन पत्र सौंपा। इस पर उनकी पार्टी से 77 और नेपाली कांग्रेस से 88 सदस्यों के हस्ताक्षर थे।
नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष ओली ने नई गठबंधन सरकार बनाने के लिए एक जुलाई को सात सूत्री समझौते पर आगे बढ़े और हस्ताक्षर किए थे। दोनों नेता इस बात पर सहमत जता चुके हैं कि प्रधानमंत्री का शेष कार्यकाल बारी-बारी से उनके बीच साझा किया जाएगा। नेपाल में 2027 में आम चुनाव होने हैं। नई गठबंधन सरकार में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी, जनता समाजवादी पार्टी नेपाल, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी, जनमत पार्टी और नागरिक उन्मुक्ति पार्टी सहित अन्य राजनीतिक दलों के भी सरकार में शामिल होने की संभावना है।
ओली ने 11 अक्टूबर 2015 से तीन अगस्त 2016 तक प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। इस दौरान नई दिल्ली के साथ काठमांडू के संबंध तनावपूर्ण रहे। इसके बाद वह पांच फरवरी 2018 से 13 मई 2021 तक फिर प्रधानमंत्री रहे। इसके बाद भी वह तत्कालीन राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी की वजह से 13 मई 2021 से 13 जुलाई 2021 तक पद पर बने रहे। बाद में नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि ओली का प्रधानमंत्री पद पर बने रहना असंवैधानिक है। उल्लेखनीय है कि नेपाल लंबे समय से राजनीतिक उथल-पुथल का सामना कर रहा है। गणतंत्र प्रणाली लागू होने के बाद पिछले 16 वर्ष में नेपाल के नागरिक 14 सरकारें देख चुके हैं।