जम्मू, 11 जुलाई (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर के कठुआ-उधमपुर-डोडा क्षेत्र की पहाड़ियों और घने जंगलों में सेना के अतिरिक्त जवानों को तैनात किया गया है। इसी बीच कठुआ जिले में सेना के गश्ती दल पर घात लगाकर हमला करने वाले आतंकवादियों की तलाश गुरुवार को चौथे दिन भी जारी रही।
सेना के अधिकारियों ने बताया कि सोमवार को हुए हमले में पांच सैन्यकर्मी बलिदान होने के बाद अब तक 60 लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है।इनमें तीन ऐसे व्यक्ति भी हैं, जिन पर आतंकवादियों को भोजन और आश्रय प्रदान करने का संदेह है। हिरासत में लिए गए लोगों में एक महिला भी है, जिसने 10 से 15 आतंकवादियों के लिए भोजन पकाया और उसे एक व्यक्ति को दिया। अधिकारियों ने कहा कि सुरक्षा एजेंसियों को संदेह है कि यह भोजन आतंकवादियों के लिए था।
अधिकारियों ने बताया कि कठुआ में जम्मू-कश्मीर और पंजाब के वरिष्ठ पुलिस और सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों ने अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) पर सुरक्षा ग्रिड पर चर्चा करने के लिए मुलाकात की। उन्होंने बताया कि अंतरराज्यीय सुरक्षा समीक्षा बैठक में जम्मू-कश्मीर और पंजाब में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सीमा पार से घुसपैठ से निपटने और पंजाब की सीमा से लगे जम्मू क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों का मुकाबला करने के लिए एक संयुक्त रणनीति तैयार करने पर चर्चा की गई।
तलाशी अभियान के बारे में अधिकारियों ने कहा कि जवान सावधानी से आगे बढ़ रहे हैं, क्योंकि इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडीएस) का खतरा है। तलाशी अभियान का विस्तार जम्मू क्षेत्र के कठुआ, उधमपुर और डोडा जिलों के पहाड़ी इलाकों में किया गया है, जहां जून से आतंकी घटनाओं में तेजी आई है। सेना की 9 कोर के जवानों ने कठुआ की पहाड़ियों में अपनी मौजूदगी बढ़ा दी है, जबकि 16 कोर के डेल्टा फोर्स ने उधमपुर और डोडा के जुड़वां जिलों में और कर्मियों को तैनात किया है।
अधिकारियों ने बताया कि ऐसा पहाड़ी इलाकों की घेराबंदी के लिए किया गया है, ताकि आतंकवादी भाग न सकें। उन्होंने बताया कि ग्राउंड टीमों को मानव रहित हवाई वाहनों से प्राप्त निगरानी डेटा से सहायता मिल रही है। उन्होंने बताया कि सेना के विशेष बल और खोजी कुत्तों की टुकड़ियां तैनात की गई हैं। अधिकारियों ने बताया कि इन इलाकों में घने जंगल, गहरी घाटियां, गुफाएं और ऊबड़-खाबड़ इलाके हैं, जहां सैनिकों को बारिश और कोहरे जैसी प्रतिकूल मौसम स्थितियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि राजमार्गों और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में चल रही अमरनाथ यात्रा के स्थल भी शामिल हैं, जहां संभावित आईईडी खतरों से निपटने के लिए सुरक्षा उपाय बढ़ा दिए गए हैं।