विश्व जनसंख्या दिवस पर जेपी नड्डा ने कहा- महिलाओं को परिवार नियोजन का विकल्प चुनने का हो अधिकार

नई दिल्ली, 11 जुलाई (हि.स.)। विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने गुरुवार को राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के साथ वर्चुअल रूप से बैठक की। इस बैठक का विषय ‘मां और बच्चे के स्वस्थ स्वास्थ के लिए गर्भधारण का सही अंतराल’ था। इस बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल भी मौजूद थीं।
इस अवसर पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि वैश्विक आबादी का 1/5 हिस्सा भारत की आबादी है। विकसित भारत का लक्ष्य तभी हासिल किया जा सकता है, जब देश के परिवार का आकार छोटा हो और सभी स्वस्थ्य हों। उन्हाेंने कहा कि महिलाओं को परिवार नियोजन का विकल्प चुनने का अधिकार होना चाहिए औऱ उन पर अवांछित गर्भधारण का बोझ नही होना चाहिए।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री नड्डा ने केंद्र और राज्यों को सामूहिक रूप से काम करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्हाेंने कहा कि गर्भ निरोधकों की जरूरतें, विशेष रूप से उच्च बोझ वाले राज्यों के जिलों औऱ ब्लॉक में पूरी की जानी चाहिए। उन्हाेंने युवाओं, किशोरों, महिलाओं और बुजुर्गों सहित सभी के लिए एक उज्ज्वल, स्वस्थ भविष्य सुरक्षित करने के सरकार के फोकस पर प्रकाश डाला।उन्होंने कहा कि दो बच्चाें के जन्म के बीच अंतर को बढ़ावा देना, परिवार के आकार को छोटा रखना और गर्भनिरोधक विकल्पों को स्वैच्छिक रूप से अपनाने से परिवार खुशहाल बनेंगे, जिससे हमारे देश के उज्ज्वल भविष्य में योगदान मिलेगा।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री नड्डा ने कहा कि राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम सफल योजनाओं में से एक, “मिशन परिवार विकास” (एमपीवी) की शुरुआत में सात उच्च-फोकस वाले राज्यों में 146 उच्च प्राथमिकता वाले जिलों (एचपीडी) के लिए लॉन्च किया गया था और बाद में सभी जिलों में इस मिशन को विस्तारित किया गया। उन्हाेंने योजना के उल्लेखनीय प्रभाव पर जोर दिया और इन राज्यों में गर्भ निरोधकों की पहुंच में उल्लेखनीय वृद्धि और मातृ, शिशु और पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में सफल कमी को रेखांकित किया। जिलों को इस योजना का प्राथमिक केंद्र बिंदु बनाने से पूरे राज्य में कुल प्रजनन दर (टीएफआर) को नीचे लाने में मदद मिली।
उन्होंने कहा, “हमें उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए राज्यों के इनपुट और एनएफएचएस डेटा के आधार पर एक रणनीति भी बनानी चाहिए जहां टीएफआर में सुधार नहीं हुआ है।” उन्हाेंने परिवार नियोजन और सेवा वितरण के संदेशों को अंतिम छोर तक पहुंचाने में स्वास्थ्य सेवा और फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं और विभिन्न विभागों के अथक परिश्रम और समर्पण की भी सराहना की।

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