राष्ट्रपति ने भुवनेश्वर में ब्रह्मकुमारी के दिव्य रिट्रीट सेंटर का किया उद्घाटन

भुवनेश्वर/नई दिल्ली, 08 जुलाई (हि.स.)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को भुवनेश्वर के निकट हरिदमदा गांव में ब्रह्मकुमारी के दिव्य रिट्रीट सेंटर का उद्घाटन किया। उन्होंने ब्रह्मकुमारीज के राष्ट्रीय अभियान ‘स्थायित्व के लिए जीवनशैली’ का भी शुभारंभ किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि प्रकृति में बहुत कुछ है। जंगल, पहाड़, नदियां, झीलें, समुद्र, वर्षा, हवा ये सभी जीवधारियों के जीवन के लिए आवश्यक हैं। लेकिन मनुष्य को यह याद रखना चाहिए कि प्रकृति में प्रचुरता उसकी जरूरतों के लिए है, उसके लालच के लिए नहीं। मनुष्य अपने भोग-विलास के लिए प्रकृति का दोहन कर रहा है और ऐसा करके प्रकृति के प्रकोप का शिकार हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करना और प्रकृति के अनुकूल जीवन जीना समय की मांग है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय संस्कृति ने हमेशा प्रकृति के अनुकूल जीवनशैली पर जोर दिया है। हमारे दर्शन में धरती को माता और आकाश को पिता कहा गया है। नदी को भी माता की उपाधि दी गई है। जल को जीवन कहा गया है। हम वर्षा को भगवान इंद्र और समुद्र को भगवान वरुण के रूप में पूजते हैं। हमारी कहानियों में पहाड़ और पेड़ हिलते हैं और जानवर एक-दूसरे से बात भी करते हैं। इसका मतलब यह है कि प्रकृति जड़ नहीं है, उसके भीतर भी चेतना की शक्ति है। ये सभी प्रकृति के संरक्षण के लिए भारतीय दार्शनिकों के सुंदर विचार हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग और मौसम की अनिश्चितता आज दुनिया के सामने बड़ी चुनौतियां हैं। बाढ़, भूस्खलन, हिमस्खलन, भूकंप, जंगल की आग और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाएं अब कभी-कभार होने वाली नहीं रह गई हैं। अब ये लगातार होने वाली घटनाएं बन गई हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे दैनिक जीवन में छोटे-छोटे बदलाव समाज में बड़े बदलावों का मार्ग प्रशस्त करते हैं। हमें अपनी आदतों में बदलाव लाना होगा, ताकि प्राकृतिक संसाधनों का कम से कम उपयोग हो। कई बार नल खुले रहने से पीने का पानी बर्बाद हो जाता है। दिन में भी लाइट जलती रहती है। इसी तरह घर हो या दफ्तर, हम पंखे या लाइट बंद करने पर ध्यान नहीं देते। हम प्लेट में कुछ खाना छोड़ देने की आदत से खुद को मुक्त नहीं कर पाए हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रकृति के अनुकूल जीवनशैली पर सिर्फ चर्चा करना ही काफी नहीं है, हमें इसे अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना होगा। उन्होंने सभी से प्राकृतिक संसाधनों को बचाने की आदत डालने का आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय अभियान ‘लाइफस्टाइल फॉर सस्टेनेबिलिटी’ से जुड़े सभी लोगों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह लोगों को प्रकृति से जोड़ने की दिशा में एक सराहनीय कदम है। उन्होंने कहा कि यह अभियान बैठकों, समितियों या सम्मेलनों तक सीमित नहीं रहना चाहिए। उन्होंने अभियान से जुड़े सभी लोगों से देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर लोगों, खासकर ग्रामीण लोगों को पर्यावरण के बारे में जागरूक करने का आग्रह किया।

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