– दूध उतारने के लिए पशुओं को खिलाए संतुलित एवं स्वादिष्ट आहार,भयमुक्त बनाए वातावरण
कानपुर, 03 जुलाई (हि.स.)। ऑक्सीटॉसिन इंजेक्शन दूध को विषैला करने के साथ मवेशियों एवं मानव स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव डालता है। यह जानकारी बुधवार को चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के पशुपालन एवं दुग्ध विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ.पी.के.उपाध्याय ने दी।
उन्होंने बताया कि अधिकतर पशु पालक दुधारू पशुओं को ऑक्सीटोसिन नामक इंजेक्शन लगाकर दूध निकालते हैं जो दुधारू पशुओं एवं मानव स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव डालता है। ऑक्सीटोसिन हार्मोन मस्तिष्क में स्थित पिट्यूटरी ग्रंथि से स्रावित होता है। ऑक्सीटोसिन हार्मोन का प्रभाव शरीर में 5 से 7 मिनट तक रहता है।
उन्होंने बताया कि पशु पालकों की यह धारणा गलत है कि इंजेक्शन लगाने से दूध उत्पादन में वृद्धि हो जाती है। केवल अयन से दूध जल्दी बाहर आ जाता है। उन्होंने बताया कि इंजेक्शन द्वारा अलग से शरीर में ऑक्सीटॉसिन देने से शरीर में हार्मोन अतिरिक्त मात्रा में हो जाता है। जिससे दुधारू पशुओं में दुष्प्रभाव पड़ता है जैसे पशु धीरे-धीरे बांझ हो जाता है एवं गर्भित पशु में भ्रूण गिरना, पशु का बार बार गर्मी में आना लेकिन गर्भधारण न करना, प्रजनन अंगों में दुष्प्रभाव पड़ना, बच्चेदानी का बाहर निकल आना आदि समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।
डॉ उपाध्याय ने बताया कि पशुपालकों की लापरवाही के कारण पशु अनुपयोगी हो जाते हैं। जिससे उनके बेशकीमती पशु कौड़ियों के भाव में बिकते हैं और उन्हें आर्थिक हानि उठानी पड़ती है। इंजेक्शन द्वारा लगातार दूध निकालते रहने से दूध में ऑक्सीटोसिन हार्मोन की सूक्ष्म मात्रा दूध में आ जाती है जिससे मानव स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ता है। जैसे पुरुषों एवं महिलाओं में बांझपन की समस्या, लड़कियों का उम्र से पहले वयस्क होना, महिलाओं में गर्भपात का खतरा, बच्चों में दृष्टि दोष की संभावना बढ़ जाती है।
डॉ उपाध्याय ने बताया कि हमारे देश में ऑक्सीटॉसिन इंजेक्शन पूर्ण रूप से प्रतिबंधित किया जा चुका है। कानूनी तौर पर इसका प्रयोग दंडनीय अपराध है जो कि पशु क्रूरता रोकथाम अधिनियम के अंतर्गत आता है। पशुपालकों को सलाह है कि दुधारू पशुओं से स्वत: दूध उतारने के लिए पशुओं को संतुलित एवं स्वादिष्ट आहार खिलाए, प्रसन्न चित्त प्यार दुलार एवं भयमुक्त वातावरण में रखकर ऑक्सीटॉसिन से मुक्त दूध प्राप्त करें।जिससे दूध उपभोग करने वाले व्यक्तियों को स्वस्थ एवं जानलेवा बीमारियों से सुरक्षित रख सकते हैं। तथा पशुधन का स्वास्थ्य ही सही रहेगा।