नई दिल्ली, 22 जून (हि.स.)। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह ने आज शनिवार को भारतीय कृषि अनुसंधान के पूर्व छात्रों के एक सम्मेलन को संबोधित किया। इस मौके पर उन्होंने वैज्ञानिक समुदाय से अपील की कि वे छोटे और सीमांत किसानों के हित में कार्य करें।
नई दिल्ली स्थित पूसा इंस्टीट्यूट में आयोजित सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि देश को तेलहन और दलहन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की जरूरत है। इसके साथ किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्नत तकनीकी की भी जरूरत है।
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि देश में छोटे और सीमांत किसान 86 प्रतिशत के करीब हैं। ऐसे में खेती का मॉडल ऐसा बनाना पड़ेगा कि एक हेक्टेयर की खेती तक में किसान आसानी से अपनी जीविका चला सकें। उन्होंने यह भी कहा कि हमें कुछ ऐसा रोड मैप बनाना पड़ेगा, जिससे कि भारतीय किसान और कृषि का कल्याण हो सके और भारत को दुनिया का फूड बास्केट बना सकें। साथ ही दुनिया को अन्न खिलाने के लिए निर्यात भी कर सकें।
उन्होंने कहा कि कृषि के परिदृश्य को पूरी तरह से बदलना मेरी जिद है। वे किसान और विज्ञान को जोड़ना चाहते हैं। चूंकि, किसानों को हमें विज्ञान से जोड़ना है और इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र बहुत उपयोगी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का विजन तथा मिशन कृषि के क्षेत्र को आगे बढ़ाना और किसान का कल्याण करना है। इसलिए जिस दिन से वे कृषि मंत्री बने हैं, तभी से दिन-रात किसानों के जीवन को बेहतर बनाने के बारे में सोच रहे हैं।