साउथ अफ्रीका में तीन दशकों से चला आ रहा एएनसी का प्रभुत्व खत्म, मंडेला की पार्टी बहुमत से चूकी, गठबंधन सरकार के आसार

जोहान्सबर्ग, 2 जून (हि.स.)। दक्षिण अफ्रीका के चुनावी इतिहास में बीते तीस वर्षों में पहली बार अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस (एएनसी) को संसदीय चुनाव में बहुमत नहीं मिला। बुधवार को हुए चुनाव के लिए करीब 99.8 फीसदी मतों की गणना हो चुकी है और सत्तारूढ़ एएनसी को 40 फीसदी मत मिले हैं, जो बहुमत से कम हैं। मौजूदा राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा के नेतृत्व वाली एएनसी ने 1994 में नेल्सन मंडेला के निर्वाचित होने के बाद पहली बार बहुमत खोया।

देश के चुनाव आयोग (आईसीसी) के मुताबिक बुधवार को डाले गए मतपत्रों के 99.8 फीसदी की गणना पूरी हो चुकी है। जिसमें एएनसी को 40 फीसदी वोट मिले हैं। दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद से मुक्त कराने वाली पार्टी के साथ पिछले तीस साल में पहली बार ऐसा हो रहा है।

साउथ अफ्रीका के चुनाव आयोग ने अभी तक अंतिम परिणाम जारी नहीं किया है, लेकिन बहुमत के लिए 50 फीसदी मतदान के आंकड़े पर एएनसी नहीं पहुंच सकती है। इसकी वजह यह है कि 99 फीसदी मतों की गिनती हो चुकी है। चुनाव आयोग के मुताबिक आज यानी रविवार को तक पूरी तरह से परिणाम घोषित किए जा सकते हैं।

अबतक की गणना में डेमोक्रेटिक अलायंस (डीए) को 22 फीसदी और पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा की पार्टी उम्खोंटो वी सिजवे (एमके) ने करीब 15 फीसदी मत हासिल किए। इकोनॉमिक फ्रीडम फाइटर्स (ईएफएफ) का हिस्सा घटकर 9 फीसदी रह गया। संसदीय चुनाव में 50 से अधिक दलों ने हिस्सा लिया था।

इस परिणाम के बाद साउध अफ्रीका में तीन दशक से एएनसी का चला आ रहा प्रभुत्व समाप्त हो गया है लेकिन संसद में बहुमत हासिल नहीं होने के बावजूद एएनसी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। एएनसी को दोबारा सरकार बनाने और राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा को दोबारा चुनने के लिए गठबंधन का सहारा लेना होगा। राष्ट्रीय चुनाव के बाद साउथ अफ्रीका की संसद राष्ट्रपति का चुनाव करती है।

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