नई दिल्ली, 31 मई (हि.स.)। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना का आरोप है कि राज्य में पानी की कमी के लिए दिल्ली सरकार का कुप्रबंधन जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि आदतन दूसरों पर आरोप मढ़ने वाली दिल्ली सरकार इसके लिए भी दूसरे राज्यों को दोषी करार दे रही है।
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दावा किया है कि हरियाणा और उत्तर प्रदेश लगातार अपने निर्धारित कोटे का पानी दे रहे हैं। इसमें कोई कमी नहीं आई है बल्कि दिल्ली में 24 घंटे पानी देने का मुख्यमंत्री का वादा अब तक छलावा साबित हुआ है।
उन्होंने कहा कि वजीराबाद वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के अलावा दिल्ली के सभी ट्रीटमेंट प्लांट अपनी क्षमता से ज्यादा काम कर रहे हैं। वजीराबाद प्लांट में बैराज के रिजर्वायर में सिल्ट जमा होने के कारण यह अपनी क्षमता से कई गुना कम काम कर रहा है। 25 करोड़ गैलन की बजाए यह मात्र 1.6 करोड़ गैलन ही पानी को ट्रीट कर पा रहा है। गाद निकालने का काम पिछले 2013 के बाद से नहीं हुआ है। पिछले साल भी उन्होंने मुख्यमंत्री को इस बारे में पत्र लिखा था।
उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में जल संकट को लेकर दिल्ली सरकार गैर-जिम्मेदाराना रवैया अख्तियार किए हुए हैं। दिल्ली में लोग अपनी जान जोखिम में डालकर पानी के लिए टैंकरों के पीछे भागते नजर आ रहे हैं लेकिन सरकार अपनी विफलताओं का ठीकरा दूसरे राज्यों पर फोड़ रही है।
उपराज्यपाल ने कहा कि दिल्ली में पानी की भारी कमी का सबसे बड़ा कारण यह है कि उत्पादित पानी का 40 प्रतिशत हिस्सा पुरानी और जर्जर पाइपलाइनों के कारण बर्बाद हो जा रहा है। पिछले 10 वर्षों में दिल्ली सरकार द्वारा खर्च की राशि से पुरानी पाइपलाइनों की मरम्मत नहीं किया जा सकी और पर्याप्त पानी की पाइप लाइन भी नहीं बिछाई गई।
वहीं उपराज्यपाल ने कहा कि पुरानी और जर्जर पाइप लाइनों से पानी लेकर टैंकर माफिया द्वारा चोरी चुपके गरीबों को बेचा जाता है। इसलिए एक ओर जहां दिल्ली के समृद्ध इलाकों में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन औसतन 550 लीटर पानी की आपूर्ति की जा रही है, वहीं दूसरी ओर गांवों और झुग्गियों में प्रति व्यक्ति औसतन केवल पंद्रह लीटर पानी की आपूर्ति हो रही है।