पूसीरे ने आईसीएफ रेक की 10 जोड़ी ट्रेनों को एलएचबी में बदला

गुवाहाटी, 24 मई (हि.स.)। रेल यात्राओं को अधिक संरक्षा और सुरक्षित परिवहन का माध्यम बनाने के अपने निरंतर प्रयास की दिशा में पूर्वोत्तर सीमा रेलवे (पूसीरे) ट्रेनों में अप्रत्याशित घटनाओं की रोकथाम के लिए तकनीकी रूप से उन्नत उपायों को अपना रही है।

पूसीरे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सब्यसाची डे ने आज बताया कि एक पहल के रूप में पूसीरे ने संरक्षा से समझौता किए बिना बेहतर और आरामदायक यात्रा का अनुभव प्रदान करने के लिए ट्रेनों में अपने आईसीएफ कोच को लिंक हॉफमैन बुश (एलएचबी) कोच में परिवर्तित किया है।

उन्होंने बताया है कि इन कोचों में आधुनिक तकनीक जैसे फायर एंड स्मोक डिटेक्शन सिस्टम (एफएसडीएस), फायर डिटेक्शन एंड सप्रेशन सिस्टम (एफडीएसएस) के साथ-साथ एस्पिरेशन टाइप स्मोक डिटेक्टर और एयरोसोल बेस्ड फायर डिटेक्शन सिस्टम लगाए गए हैं।

2023-24 के दौरान, महत्वपूर्ण मार्गों से होकर चलने वाली लंबी दूरी की 10 जोड़ी ट्रेनों को मौजूदा पारंपरिक रेक से एलएचबी रेक में बदला गया। अब तक पूसीरे में चलने वाली 95 रेकों के साथ कुल 60 ट्रेनों को आधुनिक एलएचबी रेकों में परिवर्तित किया गया है।

एलएचबी रेक आधुनिक हाइड्रोलिक शॉक एब्जॉर्बर और उन्नत सस्पेंशन सिस्टम से सुसज्जित हैं, जो पारंपरिक रेकों की तुलना में यात्रियों के लिए अधिक आरामदायक यात्रा सुनिश्चित करता है। एलएचबी कोच टक्कर-रोधी तकनीक के साथ निर्मित होते हैं, जिससे दुर्घटना के दौरान कम जानें जाती हैं। प्रत्येक कोच में उच्च गति पर कुशल ब्रेकिंग के लिए “एडवांसड न्यूमेटिक डिस्क ब्रेक सिस्टम” भी लगाए गए हैं।

वर्तमान में पूसीरे एलएचबी मॉडल वाले 129 लगेज वैनों और 67 पैंट्री कारों के साथ 912 एसी कोच और शयनयान श्रेणी के 822 कोच का संचालन कर रही है। इसके अलावा, ट्रेन संख्या 15926/15925 (डिब्रूगढ़ – देवघर – डिब्रूगढ़) साप्ताहिक एक्सप्रेस और 15724/15723 (सिलीगुड़ी टाउन – जोगबनी – सिलीगुड़ी टाउन) इंटरसिटी एक्सप्रेस के साथ पूसीरे में एलएचबी मॉडल वाली दो जोड़ी नई ट्रेन सेवाएं शुरू की गईं।

रेल संरक्षा में सुधार और यात्री सुविधाओं में आधुनिकीकरण एक सतत् प्रक्रिया है और इसमें सुधार लाने के लिए निरंतर प्रयास किए जाते हैं। संरक्षा प्रक्रिया के कार्यान्वयन के साथ अनुरक्षण सुनिश्चित करने के लिए चिह्नित क्षेत्रों की रेलवे अवसंरचनाओं में नियमित अंतरालों पर और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए प्रणालीगत खामियों की पहचान के लिए संरक्षा ऑडिट, निरीक्षण किए जाते हैं। पुराने आईसीएफ कोचों को एलएचबी कोचों में बदलना एक ऐसा संरक्षा अभियान है, जिसका उद्देश्य भारतीय रेल द्वारा अपने यात्रियों को बेहतर संरक्षा और अगले स्तर की सुविधा प्रदान करना है।

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