पलामू, 24 मई (हि.स.)। जिले के हैदनरगर अंचल के परता-कबरा बहु ग्रामीण जलापूर्ति योजना के लिए हुसैनाबाद अंचल के तहत देवरी खुर्द गांव में धोखे से जमीन लिए जाने के बाद अब योजना के संवेदक विगुन कंस्ट्रक्शन (आगरा) के द्वारा गुणवत्ता को ताक पर रखकर घटिया कार्य कराया जा रहा है।
पूर्व में देवरी खुर्द के ग्रामीणों को यह कहकर अंधेरे में रखा गया कि देवरी खुर्द पंचायत के लिए जलापूर्ति योजना स्वीकृत हुई है। इसके लिए एक जलशोधन प्लांट का निर्माण किया जाएगा, जिसके लिए लगभग दो एकड़ भूमि की आवश्यकता है। इसके बाद मुखिया पति उपेंद्र मेहता द्वारा जब कार्य रोका गया तो संवेदक ने पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता को पत्र लिखकर अवगत कराया कि मेहता द्वारा कार्य में अवरोध उत्पन्न किया जा रहा है, जबकि उक्त गैरमजरूआ भूमि पर शीशम एवं अन्य कई किस्म के पेड़ भी किसानों द्वारा लगाए गए थे।
गौरतलब तो यह है कि बिना सरकारी अनुमति के लगभग पचास हरे-भरे पेड़ को भी संवेदक ने जेसीबी से नष्ट कर दिया, किन्तु अंचल अधिकारी या देवरी ओपी द्वारा संवेदक के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई। ग्रामीणों का आरोप है कि किसान द्वारा अपनी निजी भूमि पर लगाये गए पेड़ को काटने पर मुकदमा दर्ज कर दिया जाता है, किंतु संवेदक द्वारा सरकारी भूमि पर अवस्थित पचासों पेड़ काट डाले गए और अंचल या पुलिस प्रशासन को इसकी भनक भी नहीं लगी।
उल्लेखनीय है कि अंचल अधिकारी ने उक्त भूमि पर परता ग्रामीण जलापूर्ति योजना के जलशोधन संस्थान के निर्माण हेतु अनापत्ति प्रमाण पत्र भी निर्गत कर दिया। आश्चर्य की बात तो यह है कि राजस्व कर्मचारी एवं अंचल निरीक्षक ने बेहिचक देवरी खुर्द के खाता नंबर-253, प्लॉट नंबर-762, 951, 952, 953, 961 एवं 952/2839 के रकबा 1.44 एकड है, जिसका अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिए अपनी अनुशंसा सीओ को कर दी, जिसमें शीशम पेड़ का जिक्र ही नहीं किया गया। तब सीओ ने पत्रांकः 1037, दिनांक-25.11.2023 के द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र निर्गत कर दिया।
चर्चा है कि इसमें पैसे का खेला हो गया। इस कारण जब संवेदक ने उक्त भूमि पर माह दिसंबर 2023 में बाउंड्री वाल के निर्माण का कार्य प्रारंभ किया तो ग्रामीणों ने उक्त कार्य को रोक दिया। अब पुनः संवेदक ने चहारदीवारी का कार्य प्रारंभ किया है तो इसमें भारी अनियमितता बरती जा रही है।
ग्रामीणों का आरोप है कि बाउंड्री वाल की नींव में ईंट सोलिंग नहीं कर जमीन पर ही सीमेंट की बोरी बिछाकर आरसीसी की जा रही है। साथ ही पिलर में प्रयुक्त किये जाने वाला लोहे का छड़ ब्रांडेड कंपनी का नहीं लगाकर लोकल कंपनी का लगाया जा रहा है। छह माह पहले रखे गए 10 बोरी खराब सीमेंट को भी नींव में प्रयुक्त कर दिया गया। विभागीय कर्मचारी द्वारा कार्यस्थल पर संवेदक के मुंशी को हिदायत देने के बाद भी पिलर में छह इंच के स्थान पर नौ से बारह इंच की दूरी पर रिंग बांधा जा रहा है, जिससे आंधी-तूफान में बाउंड्री वाल कभी भी धराशायी होने की संभावना है।