अगरतला, 26 जनवरी : त्रिपुरा की स्मृति रेखा चकमा को कपड़ा उद्योग में उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए पद्मश्री पुरस्कार मिल रहा है। चित्तरंजन देववर्मा को अध्यात्म में पद्मश्री मिला
स्मृति रेखा चकमा पर्यावरण के अनुकूल वनस्पति रंग के सूती धागों को पारंपरिक डिजाइनों में कपड़े में बुनती हैं। उन्होंने ग्रामीण महिलाओं को बुनाई का प्रशिक्षण देने के लिए उजिया जाधा नामक एक सामाजिक और सांस्कृतिक संस्था की स्थापना की उन्होंने बचपन में अपनी दादी को पारंपरिक नागा पद्धति का उपयोग करके लंगोटी बुनते देखा था और अब वह युवा पीढ़ी को इस शिल्प में प्रशिक्षित कर रही हैं। वह 63 साल के हैं
प्रसिद्ध हिंदू आध्यात्मिक चित्त रंजन देववर्मा (चित्त महाराजा) ने राज्य के विभिन्न स्थानों पर “शांति काली आश्रम” की स्थापना और संचालन किया है, जिसका मुख्यालय चंपक नगर में है। शांति काली नाम प्रसिद्ध हिंदू आदिवासी संत शांति कुमार त्रिपुरा से लिया गया है जिनकी 1999 में प्रतिबंधित एनएलएफटी उग्रवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। पूज्य चित्त महाराज हिंदू धर्म का संदेश फैलाने और आदिवासियों की धार्मिक मान्यताओं और संस्कृति को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
2024-01-26