पू. सी. रेल के रूफ टॉप सोलर पैनल पर  6110 केडब्ल्यूपी ऊर्जा उत्पन्न 

मालीगांव, 19 जनवरी : भारतीय रेल 2030 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जोरदार प्रयास कर रही है। जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने के प्रयास में, पूर्वोत्तर सीमा रेल पूरे जोन में सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित कर अधिक से अधिक हरित ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए कदम उठा रहा है। दिसंबर, 2023 तक पूर्वोत्तर सीमा रेल ने 6110.233 किलोवाट पीक (केडब्ल्यूपी) का उत्पादन करने वाले रूफ टॉप सोलर ऊर्जा संयंत्र चालू किए हैं। इससे 46.83 लाख यूनिट की बचत होगी, जो सालाना बिजली बिल में लगभग 3.74 करोड़ रुपये है।

‘गो-ग्रीन’ मिशन के तहत, असम के 45 स्टेशनों और अन्य सेवा भवनों में रूफ टॉप सोलर पैनल लगाया गया है, जो 4509 केडब्ल्यूपी उत्पन्न करता है। पश्चिम बंगाल में 24 स्टेशनों को रूफ टॉप सोलर पैनल से लैस किया गया है, जो 554.20 केडब्ल्यूपी का उत्पादन करता है। बिहार में 11 स्टेशनों को 390 केडब्ल्यूपी उत्पन्न करने वाले सोलर रूफ टॉप पैनल से फिट गया है। त्रिपुरा में 16 स्टेशनों को 335 केडब्ल्यूपी बिजली उत्पन्न करने वाले सोलर रूफ टॉप पैनल से फिट किया गया है; नागालैंड के 02 स्टेशनों और मेघालय के 01 स्टेशन को क्रमशः 120 केडब्ल्यूपी और 10 केडब्ल्यूपी का उत्पादन करने वाले सोलर रूफ टॉप पैनल से फिट किया गया है। इसके अलावा, असम, बिहार और पश्चिम बंगाल के 388 समपार फाटकों पर 192.033 केडब्ल्यूपी वाले सोलर रूफ टॉप सिस्टम चालू किए गए।

चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में, ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पू. सी. रेल अपने क्षेत्राधिकार में 1871 केडब्ल्यूपी क्षमता की सोलर रूफ टॉप सिस्टम चालू करने को तत्पर है। इनमें रंगिया मंडल के विभिन्न स्थानों पर 892 केडब्ल्यूपी और मालीगांव स्थित पूर्वोत्तर सीमा रेल खेल-कूद परिसर में 384 केडब्ल्यूपी शामिल है। इसके अलावा, 495 केडब्ल्यूपी और 100 केडब्ल्यूपी को क्रमशः लामडिंग और अलीपुरद्वार मंडल के विभिन्न स्टेशनों और सेवा भवनों में चालू करने की योजना है।

पू. सी. रेल ने अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो सभी स्टेशनों की बिजली जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगा और पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ रेलवे और देश के लिए बहुमूल्य धनराशि की बचत करेगा।

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