यांत्रिक बुद्धिमत्‍ता जैसी आधुनिक तकनीक का उपयोग जीवन को बेहतर बनाने के लिए किया जा सकता है- राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

नई दिल्ली ०२ दिसम्बर : राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा है कि यांत्रिक बुद्धिमत्‍ता जैसी आधुनिक तकनीक का उपयोग जीवन को बेहतर बनाने के लिए किया जा सकता है, हालांकि डीपफेक जैसी तकनीक से सामाजिक खतरा भी उत्‍पन्‍न हुआ है। उन्‍होंने कहा कि शिक्षा में नैतिकता का समावेश कर इस समस्‍या से उभरना संभव है। राष्‍ट्रपति ने यह बात आज राष्‍ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्‍वविद्यालय के 111वें दीक्षांत समारोह में कही। इस अवसर पर विश्‍वविद्यालय के कुलाधिपति रमेश बैस, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, राज्‍य के उप-मुख्‍यमंत्री देवेन्‍द्र फडणवीस और राज्‍य के उच्‍च तथा तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकात पाटिल भी उपस्थित थे।

राष्‍ट्रपति मुर्मु ने कहा कि तुकडोजी विश्‍वविद्यालय में दीक्षांत समारोह में उपाधि पाने वाले विद्यार्थियों में छात्राओं की संख्‍या काफी अधिक है और विश्‍वविद्यालय के 80 हजार विद्यार्थियों में से 50 प्रतिशत से अधिक संख्‍या छात्राओं की है। इस विश्‍वविद्यालय के 29 पीएचडी विद्यार्थियों में छात्राओं की संख्‍या 57 प्रतिशत हैं।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि तुकडोजी विश्‍वविद्यालय की एक गौरवशाली परंपरा रही है और इस विश्‍वविद्यालय के विद्यार्थी राजनीति, विज्ञान, न्‍यायपालिका और समाज सेवा के क्षेत्र में अपनी छाप छोड रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्‍हाराव, पूर्व प्रधान न्‍यायाधीश एम.हिदायतुल्‍ला और शरद बोबडे इस विश्‍वविद्यालय की प्रतिभाओं में शामिल हैं। राज्‍य के उप-मुख्‍यमंत्री देवेन्‍द्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी इसी विश्‍वविद्यालय के विद्यार्थी रहे हैं। राष्‍ट्रपति मुर्मु ने यह भी कहा कि इस विश्‍वविद्यालय के पूर्व विद्यार्थी इस विश्‍वविद्यालय को वैश्विक उत्‍कृष्‍टता केंद्र बनाने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। राष्‍ट्रपति ने स्‍नातक और स्‍नातकोत्‍तर पाठ्यक्रमों में राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति को अपनाने के लिए विश्‍वविद्यालय और इससे जुडे सभी पक्षों को धन्‍यवाद दिया।

इस अवसर पर राष्‍ट्रपति ने विभिन्‍न विद्यार्थियों को डी.एससी और पीएचडी की उपाधि भी प्रदान की।

तुकडोजी विश्‍वविद्यालय इस साल अपनी स्‍थापना का शताब्‍दी वर्ष मना रहा है।

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