नई दिल्ली २७ नवंबर : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आशा व्यक्त की है कि गहरे समुद्र का पता लगाने के लिए भारत का पहला मानवयुक्त समुद्रयान मिशन देश के लिए एक बड़ी सफलता साबित होगी। उन्होंने कहा कि मिशन समुद्रयान 6,000 मीटर की गहराई में गहरे समुद्र के संसाधनों और जैव विविधता का अध्ययन करेगा जो देश के लिए चंद्रयान-3 जैसी बड़ी उपलब्धि साबित होगी।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने गृह राज्य ओडिशा के पारादीप में पारादीप पोर्ट ट्रस्ट द्वारा आयोजित बोइता बंदना-नावों की पूजा-समारोह में भाग लिया। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की लगभग 7500 किमी लंबी तट रेखा और देश का समुद्री व्यापार दुनिया की आर्थिक क्रियाकलापों में एक बड़ी भूमिका निभाता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय बंदरगाहों को क्षेत्र में विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिए बेहतर बुनियादी ढांचे और कुशल कार्यबल से सुसज्जित होने की आवश्यकता है। राष्ट्रपति ने कहा कि केंद्र सरकार ‘समृद्धि के लिए बंदरगाह और प्रगति के लिए बंदरगाह’ की थीम पर काम कर रही है।
राष्ट्रपति ने युवाओं से नौकरी मांगने वाले की बजाय नौकरी प्रदाता बनने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि देश के युवा अपना और दूसरों का जीवन बेहतर बनाने के लिए उद्यमिता और अन्य व्यवसाय संबंधी गतिविधियों में अपना भविष्य बना सकते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि इस तरह की गतिविधियों के चलने से देश जल्द ही ‘आत्मनिर्भर भारत’ के रूप में जाना जाएगा।
राष्ट्रपति ने कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर ओडिशा की प्राचीन समुद्री महात्म्य के उपलक्ष्य में एक विशेष नाव को झंडी दिखाकर रवाना किया। राष्ट्रपति मुर्मू ने वर्चुअल माध्यम से एक मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क का उद्घाटन, पोर्ट टाउनशिप के लिए नया जलाशय और जल शोधन संयंत्र तथा नई पीढ़ी के जहाज यातायात प्रबंधन और सूचना प्रणाली की आधारशिला रखी।
इस अवसर पर राष्ट्रपति के साथ केंद्रीय मंत्री श्रीपाद येसो नाइक और ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास मौजूद थे।