नई दिल्ली २९ अक्टूबर : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि अमृत कलश यात्रा इस महीने की 31 तारीख को दिल्ली में कर्तव्य-पथ पर संपन्न होगी। आज आकाशवाणी से मन की बात कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि इस यात्रा के लिए देश के कोने-कोने से संग्रह की गई मिट्टी अब दिल्ली पहुंच रही है। उन्होंने कहा कि इस मिट्टी को एक विशाल भारत कलश में रखा जायेगा और इसी पवित्र मिट्टी से दिल्ली में अमृत वाटिका का निर्माण होगा। श्री मोदी ने कहा कि यह देश की राजधानी के हृदय में अमृत महोत्सव की भव्य विरासत के रूप में मौजूद रहेगी।
पिछले ढाई वर्ष से देश में जारी आजादी का अमृत महोत्सव का भी इस महीने की 31 तारीख को ही समापन होगा। इस दिन लौह पुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती मनाई जाती है। श्री मोदी ने कहा कि श्री पटेल को पांच सौ अस्सी से अधिक रियासतों के जोडने में उनकी अतुलनीय भूमिका के लिए स्मरण किया जाता है। प्रतिवर्ष 31 अक्टूबर को उनकी जयंती पर मुख्य आयोजन गुजरात में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर किया जाता है। श्री मोदी ने लोगों से इस अवसर पर रन फॉर यूनिटी यानी एकता दौड का आयोजन करने और इसमें बडी संख्या में शामिल होने की अपील की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस अवसर पर मेरा युवा भारत नामक राष्ट्रव्यापी संगठन की नींव रखी जा रही है। इस संगठन से युवाओं को राष्ट्र निर्माण के आयोजनों में सक्रिय भूमिका निभाने का अवसर मिलेगा। श्री मोदी ने इसके लिए युवाओं से माई भारत डॉट जीओवी डॉट इन पर पंजीकृत करने और विभिन्न कार्यक्रमों के लिए साईन अप करने की अपील की है। इस वेबसाइट की शुरूआत शीघ्र ही की जाएगी।प्रधानमंत्री नेरन्द्र मोदी ने 31 अक्टूबर को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि के लिए भी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है।
प्रधानमंत्री ने देशवासियों से त्योहारों के मौजूदा मौसम में स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देकर आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने की अपील की। उन्होंने देशवासियों कहा कि वे दिवाली पर ऐसे उत्पाद से ही घर को रोशन करें जिसमें किसी देशवासी के पसीने की महक हो। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि गांधी जयंती के दिन दिल्ली में खादी की रिकॉर्ड बिक्री हुई है। श्री मोदी ने कहा कि दिल्ली में कनॉट प्लेस के एक ही खादी स्टोर पर लोगों ने डेढ करोड रुपये से ज्यादा का सामान खरीदा। प्रधानमंत्री ने कहा कि दस साल पहले देश में खादी उत्पादों की बिक्री तीस हजार करोड रुपये से भी कम थी जो अब बढकर लगभग सवा लाख करोड रुपये हो रही है। उन्होंने कहा कि खादी की बिक्री का अर्थ है – इसका फायदा शहरों से लेकर गांवों तक अलग-अलग वर्गों तक पहुंच रहा है। श्री मोदी ने कहा कि इसका लाभ हमारे बुनकर, हस्तशिल्प कारीगर, किसान और आयुर्वेदिक पौधे लगाने वाले कुटीर उद्योग- सबको मिल रहा है।
प्रधानमंत्री ने लोगों से अपील की है कि वे पर्यटन या तीर्थाटन करते समय स्थानीय कलाकारों के उत्पादों को जरूर खरीदें। उन्होंने कहा कि यात्रा के कुल बजट का एक हिस्सा स्थानीय उत्पादों की खरीद के लिए रखें। प्रधानमंत्री ने कहा कि वोकल फॉर लोकल की ये भावना सिर्फ त्योहारों की खरीदारी तक सीमित नहीं हैं। उन्होंने कहा कि ये सोच केवल छोटे दुकानदारों और रेहडी-पटरी से सामान लने तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। श्री मोदी ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बडा विनिर्माण केन्द्र बनने की ओर अग्रसर है और कई बडे ब्रांड भारत में ही अपने उत्पादों को तैयार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन उत्पादों को अपनाने से मेक इन इंडिया को बढावा मिलता है।
प्रधानमंत्री ने लोगों से अपील की कि वे एकीकृत डिजीटल भुगतान प्रणाली से भुगतान की आदत डालें। उन्होंने श्रोताओं से मेड इन इंडिया स्मार्ट फोन के माध्यम से नमो ऐप पर स्थानीय उत्पाद या कलाकार के साथ सेल्फी साझा करने की अपील की। श्री मोदी ने कहा कि वे ऐसी कुछ पोस्ट को सोशल मीडिया पर साझा करेंगे ताकि अन्य लोग भी स्थानीय उत्पादों की खरीद के लिए प्रेरित हो सकें।
प्रधानमंत्री ने एक भारत श्रेष्ठ भारत का उल्लेख करते हुए तमिलनाडु की धरोहर से जुडे दो प्रेरक प्रयासों की चर्चा की। उन्होंने तमिल लेखक शिव शंकरी का उल्लेख किया जिन्होंने साहित्य से देश को धागे में पिरोने और जोडने की एक परियोजना को कार्यरूप दिया है। वे सोलह वर्षों से इस परियोजना पर कार्य कर रहे हैं और उन्होंने 18 भारतीय भाषाओं में लिखे साहित्य का अनुवाद किया है। उन्होंने कन्याकुमारी से कश्मीर तक और इम्फाल से जैसलमेर तक– देशभर में यात्राएं की हैं ताकि अलग-अलग राज्यों के लेखकों और कवियों से बातचीत कर सकें। श्री शिव शंकरी ने अपनी यात्रा की कमेंट्री तमिल और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में प्रकाशित की है।
प्रधानमंत्री ने कन्याकुमारी के थिरू ए. के. पेरूमल की भी चर्चा की जिन्होंने तमिलनाडु की कथावाचन परम्परा को संरक्षित करने का काम किया है। वे अपने इस मिशन में पिछले चालीस साल से जुटे हैं। श्री पेरूमल तमिलनाडु के अलग-अलग हिस्सों में यात्रा कर वहां की लोक कलाओं की अपनी पुस्तक का हिस्सा बनाते हैं। वे अब तक ऐसी करीब सौ किताबें लिख चुकें हैं। उन्होंने चमड़े की पुतलियों पर काफी अनुसंधान किया है जिससे वहां के स्थानीय लोक कलाकारों को लाभ हो रहा है। श्री मोदी ने देश की संस्कृति के संरक्षण में श्री शिव शंकरी और श्री पेरूमल के प्रयासों की प्रशंसा की।
इस वर्ष 15 नवम्बर को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाई जाएगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा हम सबके हृदय में बसे हैं और सकंल्प-शक्ति पर अडिग रहना क्या होता है, यह हम उनके जीवन से सीख सकते हैं। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को सम्मान और समानता का जीवन मिलना चाहिए। श्री मोदी ने कहा कि आज भी आदिवासी भाई-बहन प्रकृति की देख-भाल और उसके संरक्षण के लिए समर्पित हैं।
कल महान समाज सुधारक गोविन्द गुरूजी की जयंती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात और राजस्थान के आदिवासी और वंचित समुदायों के जीवन में गोविन्द गुरू जी का विशेष महत्व रहा है। उन्होंने गोविन्द गुरूजी को श्रद्धांजलि अर्पित की। श्री मोदी ने कहा कि नवम्बर महीने में मानगढ नरसंहार की बरसी भी मनाई जाती है। उन्होंने इस नरसंहार में शहीद मां भारती की सभी संतानों को नमन किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में आदिवासी योद्धाओं का समृद्ध इतिहास रहा है। उन्होंने तिलका मांझी, सिद्धो-कान्हू, टंट्या भील और शहीद वीर नारायण सिंह का जिक्र किया। श्री मोदी ने कहा कि वीर राम गोंड, वीर गुंडाधुर और भीमा नायक के साहसिक प्रसंग हमें आज भी प्रेरित करते हैं। उन्होंने कहा कि देश आज भी अल्लूरी सीताराम राजू को स्मरण करता है जिन्होंने आदिवासी भाई-बहनों में अलख जगाई। प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर के स्वतंत्रता सेनानियों–कियांग नोबांग और रानी गाइदिन्ल्यू और रानी कमलापति जैसी वीरांगनाओं को याद किया। उन्होंने कहा कि देश इस समय रानी दुर्गावती की पांच सौवीं जयंती मना रहा है जिन्होंने आदिवासी समाज को प्रेरणा दी। श्री मोदी ने आशा व्यक्त की कि देश के अधिक से अधिक युवा अपने क्षेत्र की आदिवासी विभूतियों के बारे में जानेंगे और उनसे प्रेरणा लेंगे। उन्होंने कहा कि देश अपने आदिवासी समाज का कृतज्ञ है जिन्होंने राष्ट्र के स्वाभिमान और उत्थान को हमेशा सर्वोपरि रखा है।
श्री मोदी ने गर्व व्यक्त किया कि पैरा एशियाई खेलों में भारतीय खिलाडियों ने जबरदस्त कामयाबी हासिल की है। उन्होंने कहा कि इन खेलों में एक सौ ग्यारह पदक जीतकर भारत ने इतिहास रच दिया है। प्रधानमंत्री ने पैरा एशियाई खेलों में हिस्सा लेने वाले सभी एथलीट को बधाई दी।
श्री मोदी ने बर्लिन में आयोजित विशेष ओलंपिक विश्व ग्रीष्मकालीन खेलों में 75 स्वर्ण पदक सहित दो सौ पदक जीतने वाले भारतीय खिलाडियों की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह प्रतियोगिता बुद्धिमान दिव्यांग एथलीटों की अद्भुत क्षमता को सामने लाती है। इस प्रतियोगिता में रोलर स्केटिंग, बीच वॉलीबाल, फुटबाल और लॉन टेनिस में भारतीय टीम खिलाडियों ने पदकों की झड़ी लगा दी। हरियाणा के रणवीर सैनी मंदबुद्धि की समस्या से जुझ रहे हैं लेकिन उन्होंने गोल्फ में स्वर्ण पदक जीता। पुडुचेरी के सोलह वर्षीय टी. विशाल ने चार पदक जीते। गोवा की सिया सरोदे ने पावर लिफ्टिंग में दो स्वर्ण सहित चार पदक अपने नाम किये। छत्तीसगढ के दुर्ग के अनुराग प्रसाद ने पावर लिफ्टिंग में तीन स्वर्ण और एक रजत जीता। प्रधानमंत्री ने झारखण्ड की इंदु प्रकाश की भी प्रशंसा की जिन्होंने गरीबी को दीवार नहीं बनने दिया और साईकिल चालन में दो पदक जीते। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इन खेलों में भारतीय खिलाडियों की सफलता बौद्धिक दिव्यांगता का मुकाबला कर रहे अन्य बच्चों और परिवारों को भी प्रेरित करेगी। श्री मोदी ने देशवासियों से अपील कि की वे इन खेलों में हिस्सा लेने वाले बच्चों के परिवार के पास जाएं।
प्रधानमंत्री ने कचरे से कंचन के संदर्भ में गुजरात के अम्बाजी मंदिर की चर्चा की। इस शक्तिपीठ में बडी संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु माता के दर्शन करने आते हैं। श्री मोदी ने कहा कि गब्बर पर्वत के रास्ते में कई प्रकार की योग मुद्राओं और आसनों की प्रतिमाएं दिखाई देती हैं जो श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केन्द्र हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में ऐसे कई लोग हैं जो कचरे से ऐसी सुंदर कृतियां बना सकते हैं। उन्होंने इसे बढ़ावा देने के लिए गुजरात सरकार से एक प्रतियोगिता शुरू करने का अनुरोध किया। श्री मोदी ने कहा कि इससे गब्बर पर्वत का आकर्षण तो बढेगा ही, पूरे देश में कचरे से कंचन अभियान के लिए भी लोग प्रेरित होंगे।
प्रधानमंत्री ने असम के कामरूप जिले के अक्षर फोरम नामक स्कूल की चर्चा की जिसमें प्रति सप्ताह विद्यार्थी प्लास्टिक कचरे को जमा करते हैं। इसका उपयोग पर्यावरण के अनुकूल ईंट और चाबी की चेन जैसे सामान बनाने के लिए होता है। यहां विद्यार्थियों को सामान को दोबारा उपयोग के लायक बनाना और प्लास्टिक कचरे से सामान बनाना भी सिखाया जाता है। प्रधानमंत्री ने भक्त कवि संत मीराबाई को भी याद किया जिनकी इस वर्ष 525वीं जयंती है। उन्होंने मीराबाई को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि मीराबाई रूढिवादी धारणाओं के खिलाफ खड़ी होने के कारण महिलाओं के लिए प्रेरणा-शक्ति रही हैं। श्री मोदी ने आगामी त्योहारों के लिए भी देशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं।