नई दिल्ली 14 अक्टूबर: भारत के नागपट्टिनम और श्रीलंका के कांकेसंतुरई के बीच नौका सेवा 40 वर्ष बाद आज से फिर शुरू हो गई है। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर, केंद्रीय मंत्री सर्वानन्द सोनोवाल, राज्य मंत्री ई.वी. वेलु और रघुपति ने पहली फेरी सेवा को वर्चुअली रवाना किया। यह नौका श्रीलंका के कांकेसंतुरई बंदरगाह पहुंचने में तीन घण्टे का समय लेगी।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि इस सेवा से भारत और श्रीलंका के राजनयिक और आर्थिक संबंधों में नए अध्याय की शुरुआत हो रही है। उन्होंने कहा कि सुब्रमण्यम भारती ने भारत और श्रीलंका को जोड़ने वाले सेतु का उल्लेख किया है और दोनों देशों के बीच आर्थिक भागीदारी संबंधी दृष्टि पत्र में भी भारत और श्रीलंका के लोगों के लिए संपर्क सुविधा बढ़ाने पर जोर दिया गया है। श्री मोदी ने कहा कि वर्ष 2015 में दिल्ली और कोलंबो के बीच सीधी विमान सेवा की शुरुआत हुई थी और श्रीलंका से उत्तर प्रदेश के कुशीनगर की सीधी उड़ान की शुरूआत ऐतिहासिक सुविधा थी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देश वित्तीय तकनीक और ऊर्जा के माध्यम से एक-दूसरे के लिए उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच ऊर्जा ग्रिड आपसी संबंधों का एक महत्वपूर्ण पहलू है जिसका उद्देश्य विकास का लाभ हर व्यक्ति तक पहुंचाना है।
इस अवसर पर विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फेरी सेवा को शुरू कर दोनों देशों की जनता की आकांक्षाओं को कार्यरूप दे दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि श्री मोदी भारत के ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने जाफना के पुनर्निर्माण के लिए सहायता दी है।
श्रीलंका के मंत्री डी. सिल्वा ने कहा कि फेरी सेवा शुरू होने से दोनों देशों की जनता के बीच संबंध बेहतर होंगे। श्री डी. सिल्वा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के असाधारण व्यक्तित्व की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि उत्तरी श्रीलंका के लोग बोधगया सहित भारत के अन्य स्थान की यात्रा के इच्छुक हैं। श्री डी. सिल्वा ने श्रीलंका में 60 करोड़ रूपए की लागत से बने बंदरगाह के लिए भारत की सहायता के प्रति आभार प्रकट किया। उन्होंने यह भी कहा कि श्रीलंका के तलाईमन्नार और भारत में रामेश्वरम के बीच भी सेवा जल्द ही शुरू होगी।
पत्तन राज्य मंत्री ई.वी. वेलु ने कहा कि नागपट्टिनम बंदरगाह से श्रीलंका और सिंगापुर के बीच व्यापार में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि बारहमासी यात्री नौका सेवा से दोनों देशों के लोगों के लिए सालों भर आवाजाही आसान होगी।