राज्यसभा में आज चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग सहित भारत की गौरवशाली अंतरिक्ष यात्रा पर चर्चा हुई

नई दिल्ली 20 सितम्बर: राज्यसभा में आज चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग सहित भारत की गौरवशाली अंतरिक्ष यात्रा पर चर्चा हुई। आज सुबह जब सदन की बैठक शुरू हुई तो सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि भारत ऐसा चौथा देश है जिसने चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान की सॉफ्ट लैंडिंग कराई है। इसके साथ ही चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर अंतरिक्ष यान उतारने वाला भारत पहला देश बन गया है। चंद्रयान, मंगलयान मिशन और इसरो सौर मिशन आदित्य एल1 की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए श्री धनखड़ ने कहा कि भारत ने विश्‍व को दिखाया है कि आकाश कोई सीमा नहीं है, बल्कि यह तो सिर्फ शुरुआत है। श्री धनखड़ ने कहा कि भारत ने न केवल अपने स्वयं के उपग्रह लॉन्च करने की क्षमता विकसित की है, बल्कि अन्य देशों के उपग्रहों को लॉन्च करने के लिए भी अपनी सेवाओं का विस्तार भी किया है। उन्होंने कहा कि इसरो ने जनवरी 2018 से नवंबर 2022 तक कुल 177 विदेशी उपग्रहों को सफलतापूर्वक लॉन्च करके महत्वपूर्ण कार्य किया है। सभापति ने कहा है भारत ने अब तक 424 विदेशी उपग्रह लॉन्च किए हैं और पिछले नौ वर्षों में 90 प्रतिशत लॉन्च किए गए हैं।

चर्चा की शुरुआत करते हुए केंद्रीय मंत्री और सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग कराकर पूरे देश को गौरवान्वित किया है। उन्होंने कहा कि भारत ने अन्य देशों की तुलना में अंतरिक्ष क्षेत्र में अपनी लागत-प्रभावशीलता का प्रदर्शन किया। श्री गायेल ने कहा कि कई देशों ने हमारे अंतरिक्ष मिशन से जुड़ने की इच्छा जताई है।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि विक्रम साराभाई ने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को विकासात्मक गति देने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन बनाया। श्री जयराम रमेश ने कहा कि चंद्रयान 3 की सफलता पिछले छह दशकों में बनाई गई क्षमताओं पर आधारित है।

केंद्रीय अंतरिक्ष मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि चंद्रयान 3 मिशन की सफलता विज्ञान और वैज्ञानिकों के लिए जश्न मनाने का समय है। उन्होंने कहा कि भारतीय वैज्ञानिक प्रतिभा और क्षमताओं से भरपूर हैं। डॉ. सिंह ने कहा कि पिछले नौ वर्षों में अंतरिक्ष विभाग के लिए बजटीय आवंटन 142 प्रतिशत बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि 2013-14 में बजटीय आवंटन करीब पांच हजार 168 करोड़ रुपये ही था, जबकि चालू वित्त वर्ष में इसे बढ़ाकर करीब 13 हजार कर दिया गया है।

डॉ. सिंह ने कहा कि देश ने अब तक विदेशी उपग्रहों के प्रक्षेपण से 174 मिलियन अमेरिकी डॉलर कमाए हैं, जिसमें से 157 मिलियन अमेरिकी डॉलर पिछले नौ वर्षों में कमाए गए हैं। उन्होंने कहा कि चंद्रयान पर 600 करोड़ रुपये की लागत आई है, जबकि इसरो के सोलर मिशन आदित्य एल-1 पर सिर्फ 380 करोड़ रुपये की लागत आई है।

चर्चा में तृणमूल कांग्रेस के जवाहर सरकार, द्रमुक के तिरुचि शिवा और आप के संदीप कुमार पाठक ने भी भाग लिया।

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