कारगिल विजय दिवस पर सदन में उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति का वक्तव्य

नई दिल्ली २६ जुलाई: माननीय सदस्यगण, आज कारगिल विजय दिवस की चौबीसवीं वर्षगांठ है। वर्ष 1999 में आज ही के दिन हमारे वीर जवानों ने अपने अदम्य साहस और दृढ़ संकल्प से कारगिल में घुसपैठियों को हमारी सीमा से खदेड़ दिया था।

आइए हम कारगिल युद्ध में शहीद हुए लोगों के प्रति कृतज्ञतापूर्वक अपना सिर झुकाएं। साथ ही हमारी सेनाओं और कर्मियों को भी सलाम जो हमारे राष्ट्र के लिए सर्वोच्च बलिदान देने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।

हमारे बहादुर सैनिकों ने अनुकरणीय व अपने अदम्य साहस से, दुर्गम इलाकों और बेहद प्रतिकूल मौसम का सामना करते हुए दुश्मन को परास्त किया। उनकी बहादुरी की गाथा हमें हर दिन देश की सेवा के लिए प्रेरित और प्रेरित करती रहती है।

माननीय सदस्यों, आइए कारगिल विजय दिवस मनाते हुए अपने बहादुर सैनिकों के सर्वोच्च बलिदान को याद करें। यह हमारे लिए भारत को सर्वोपरि रखने के लिए स्वयं को पुनः समर्पित करने का भी अवसर है।

इस प्रतिष्ठित सदन की ओर से और अपनी ओर से, मैं हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करता हूं और हमारे सैनिकों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। मैं सदस्यों से अनुरोध करता हूं कि वे अपने स्थान पर खड़े होकर हमारे बहादुर सैनिकों की स्मृति में सम्मान स्वरूप मौन रखते हुए श्रद्धांजलि अर्पित करें।

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