गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने नाबार्ड से अगले 25 वर्षों के लिए कृषि क्षेत्र और ग्रामीण विकास के वित्तपोषण के लक्ष्य तय करने को कहा

नई दिल्ली १३ जुलाई: केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा है कि राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक नाबार्ड ग्रामीण बैंकिंग को सुलभ बनाकर ग्रामीण क्षेत्रों में विकास और समृद्धि सुनिश्चित कर रहा है।श्री शाह ने नई दिल्ली में नाबार्ड के 42वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि जिस देश की 65 प्रतिशत से अधिक आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, उसकी कल्पना नाबार्ड जैसी संस्था के बिना नहीं की जा सकती। सहकारिता मंत्री ने कहा कि पिछले चार दशकों से नाबार्ड इस देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचे, कृषि और सहकारी संस्थानों की रीढ़ साबित हुआ है। उन्होंने कहा कि यह डेढ़ दशक से भी अधिक समय से स्वयं सहायता समूहों का आधार रहा है। श्री शाह ने कहा कि गांव आत्मनिर्भर हो रहे हैं और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की आत्मा कृषि की पूरी दुनिया में पहचान बन रही है। उन्होंने कहा कि स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से गांव के हर व्यक्ति, विशेषकर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें आत्मसम्मान के साथ समाज में उचित स्थान दिलाने में नाबार्ड की बहुत बड़ी भूमिका है। सहकारिता मंत्री ने कहा कि नाबार्ड ने पुनर्वित्त और पूंजी निर्माण के काम को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि पूंजी निर्माण के लिए नाबार्ड के माध्यम से अब तक आठ लाख करोड़ रुपये ग्रामीण अर्थव्यवस्था में खर्च किए जा चुके हैं। श्री शाह ने कहा कि कृषि क्षेत्र की विभिन्न जरूरतों को पूरा करने के लिए नाबार्ड ने ग्रामीण कृषि अर्थव्यवस्था में 12 लाख करोड़ रुपये का पुनर्वित्तपोषण किया है। उन्होंने कहा कि नाबार्ड ने 42 वर्षों में 14 प्रतिशत की विकास दर के साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था में 20 लाख करोड़ रुपये के पुनर्वित्तपोषण का काम किया है। इसे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में एक बड़ी उपलब्धि बताते हुए उन्होंने कहा कि देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सहकारी प्रणाली में वित्त व्यवस्था को मजबूत करने तथा ग्रामीण बुनियादी ढांचे को बढ़ाने का काम आजादी के अमृत काल में नाबार्ड के अलावा कोई नहीं कर सकता। सहकारिता मंत्री ने कहा, नाबार्ड ने एक करोड़ स्वयं सहायता समूहों को वित्तीय सहायता प्रदान की है। उन्होंने कहा कि यह पूरी दुनिया में माइक्रोफाइनेंसिंग का सबसे बड़ा कार्यक्रम है और देश ने नाबार्ड के माध्यम से यह उपलब्धि हासिल की है।

उन्होंने कहा कि जिला सहकारी बैंक ने डेबिट कार्ड के साथ रुपे क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराने की सेवा शुरू की है। श्री शाह ने कहा कि सहकारिता योजना के तहत सभी सहकारी समितियों के सदस्यों के बैंक खाते जिला सहकारी बैंक में स्थानांतरित कर दिये गये हैं तथा सभी दुग्ध उत्पादक समितियों को बैंक मित्र के रूप में शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि अगर हम देश की सहकारी व्यवस्था में ‘सहकारिताओं के बीच सहयोग’ की अवधारणा के साथ आगे बढ़ें और पैक्स से अपैक्स तक का पूरा पैसा अपने पास रखें, तो सहकारी प्रणाली को किसी से पैसे की आवश्यकता नहीं होगी।

 केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2014 से 2023 तक नौ साल की अवधि में विशेषकर गरीबी उन्मूलन और कृषि के विकास जैसे कई क्षेत्रों में ऐतिहासिक पहल की गई हैं। उन्होंने कहा कि जब भी देश का इतिहास लिखा जाएगा तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 9 साल के शासन को स्वर्ण अक्षरों में अंकित किया जाएगा। श्री शाह ने कहा कि कानूनों में समय पर बदलाव न होने के कारण, सहकारी प्रणाली में भी समय के साथ कमी आ गई थी, क्योंकि यह समाज और वित्त क्षेत्र में हो रहे आधुनिक परिवर्तनों के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रही थी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पूरी सहकारी व्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए सहकारिता मंत्रालय का गठन किया और करोड़ों लोगों के जीवन को समृद्ध बनाया। सहकारिता मंत्री ने कहा कि पिछले दो वर्षों में सरकार ने पैक्स में कई बदलाव किये हैं। नाबार्ड को नोडल एजेंसी बनाकर 63 हजार पैक्सों का कंप्यूटरीकरण किया जा रहा है, जिसके तहत पैक्स से लेकर नाबार्ड तक बैंकिंग, ऑडिटिंग समेत पूरा सिस्टम एक सॉफ्टवेयर के जरिए ऑनलाइन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने पैक्स के उपनियमों में भी बदलाव किया है और उन्हें बहुआयामी बनाया है। श्री शाह ने कहा कि अब पैक्स भंडारण का काम भी करेगी, जन आरोग्य केंद्र खोलेगी, उर्वरक दुकानें चलाएगी, राशन की उचित दर प्रणाली का हिस्सा बनेगी, पेट्रोल पंप और इसे गैस एजेंसी का काम भी दिया जाएगा।

    इस अवसर पर श्री शाह ने दुग्ध समितियों को माइक्रो-एटीएम कार्ड और इन समितियों के सदस्यों को रुपे किसान क्रेडिट कार्ड भी वितरित किये।

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