नई दिल्ली २८ मई : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने युवाओं में एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना को ताकत देने के लिए युवा संगम के अनूठे प्रयासों की सराहना की है।आज आकाशवाणी से मन की बात कार्यक्रम में राष्ट्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देश की एकता और विविधता को ध्यान में रखते हुए शिक्षा मंत्रालय ने इसकी पहल की है।
इस कार्यक्रम की पिछली कडियों में श्री मोदी ने काशी-तमिल संगमम और सौराष्ट्र-तमिल संगमम की चर्चा की थी।
श्री मोदी ने कहा कि युवा संगम का उद्देश्य लोगों के बीच संपर्क को बढावा देना और देश के युवाओं को एक-दूसरे के साथ परस्पर घुलने-मिलने का अवसर प्रदान करना है। अलग-अलग राज्यों के उच्च शिक्षा संस्थानों को इससे जोडा गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि युवा संगम पहल के माध्यम से युवा दूसरे राज्यों के शहरों और गांवों में जाते हैं जिससे उन्हें अलग-अलग तरह के लोगों से मिलने का मौका मिलता है। युवा संगम के पहले चरण में लगभग 12 सौ युवा देश के 22 राज्यों का दौरा कर चुके हैं। श्री मोदी ने कहा कि कई बडी कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों और व्यापारिक हस्तियों ने बैग-पैकर्स के रूप में भारत में समय गुजारा है। उन्होंने इस बात पर गर्व व्यक्त किया कि अलग-अलग देशों के नेता उनसे अपनी युवावस्था में भारत घूमने के किस्से सुनाते हैं। श्री मोदी ने कहा कि भारत में देखने-सुनने को काफी कुछ है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इन रोमांचक अनुभवों को जानकर युवाओं को देश के अलग-अलग हिस्सों में जाने की प्रेरणा मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने युवा संगम में भाग ले चुके दो युवकों–अरुणाचल प्रदेश के ज्ञामर न्योकुम और बिहार की विशाखा सिंह से बात की। न्योकुम ने युवा संगम का हिस्सा बनकर देश के एक हिस्से का दौरा करने का अवसर दिए जाने पर कृतज्ञता प्रकट की। उन्होंने कहा कि इस दौरे से उन्हें राजस्थान की संस्कृति और वहां के लोगों के बारे में काफी कुछ जानने का मौका मिला। विशाखा सिंह ने युवा संगम में भागीदारी से युवाओं को देश के विविध क्षेत्रों की संस्कृति को समझने और अपनाने की प्रेरणा मिलती है।
प्रधानमंत्री ने दोनों युवाओं से युवा संगम और एक भारत-श्रेष्ठ भारत के बारे में अपने विचार सोशल मीडिया पर साझा करने को कहा।
प्रधानमंत्री ने जल-संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया और इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि जल के बिना व्यक्ति और देश के प्रयास फलीभूत नहीं हो सकते। श्री मोदी ने कहा कि इस चुनौती को देखते हुए देश के प्रत्येक जिले में 75 अमृत सरोवर तैयार किए जा रहे हैं। ये सरोवर विशेष हैं क्योंकि इनका निर्माण आजादी का अमृतकाल में किया जा रहा है और इसमें जन-भागीदारी का तत्व भी शामिल है। श्री मोदी ने प्रसन्नता व्यक्त की कि अब तक 50 हजार से अधिक अमृत सरोवरों का निर्माण किया जा चुका है, जो जल संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जल-संरक्षण के लिए कुछ स्टार्ट-अप भी कार्यरत हैं। ऐसा ही एक स्टार्ट-अप फ्लक्सजेन है जो वस्तुओं के इंटरनेट से जुडी तकनीक का उपयोग कर जल प्रबंधन के विकल्प उपलब्ध कराता है। यह तकनीक यह समझने में उपयोगी है कि जल का उपयोग किस प्रकार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लिव एण्ड सेंस नामक स्टार्ट-अप के पास यांत्रिक बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग पर आधारित प्लेटफॉर्म है, जिसकी मदद से जल वितरण की प्रभावी निगरानी की जा सकती है और जल की बर्बादी का आकलन भी किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने कुंभी कागज नामक स्टार्ट-अप की भी चर्चा की, जो जल-कुंभी से कागज तैयार कर रहा है। उन्होंने कहा कि जल-कुंभी को पहले जल स्रोतों के लिए एक समस्या समझा जाता था, लेकिन अब उसी से कागज बनने लगा है।
प्रधानमंत्री ने छत्तीसगढ के बालोद जिले के युवकों द्वारा जल संरक्षण के लिए शुरू किए गए अभियान की भी चर्चा की। ये युवक घर-घर जाकर लोगों को जल संरक्षण के बारे में जागरूक बनाते हैं। श्री मोदी ने कहा कि जल का एक और प्रभावी उपयोग झारखण्ड के खूंटी जिले में हो रहा है, जहां लोगों ने जलसंकट के समाधान के लिए बोरी बांध का रास्ता निकाला है। बोरी बांध में पानी इकट्ठा होने से अब वहां साग-सब्जी भी पैदा होने लगी हैं। इससे लोगों की आमदनी बढी है और इलाके की जरूरतें भी पूरी हो रही हैं। श्री मोदी ने कहा कि खूंटी इस बात का आकर्षक उदाहरण बन गया है कि जन-भागीदारी का कोई भी प्रयास कैसे बदलावों को साथ लेकर आता है।
श्री मोदी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने 1965 के युद्ध के दौरान जय जवान जय किसान का नारा दिया था। बाद में, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसमें जय विज्ञान को जोडा। श्री मोदी ने कुछ वर्ष पूर्व इस नारे में जय अनुसंधान को जोडा। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के शिवाजी शामराव डोले का प्रयास जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान–चारों का प्रतिबिंब है। श्री डोले नाशिक जिले के एक छोटे से गांव के हैं और जन-जातीय किसान परिवार से तालुक रखते हैं। श्री डोले ने कुछ नया सीखने के लिए कृषि में डिप्लोमा हासिल किया और अवकाश-प्राप्त सैन्यकर्मियों सहित 20 लोगों की एक टीम बनाई। श्री डोले और उनकी टीम ने वेंकटेश्वर कॉपरेटिव पॉवर एण्ड एग्रो प्रोसेसिंग लिमिटेड नामक सहकारी संगठन का प्रबंधन कार्य अपने हाथों में लिया जो निष्क्रिय था। अब इस कॉपरेटिव का विस्तार महाराष्ट्र और कर्नाटक के कई जिलों में हो गया है और लगभग 18 हजार लोग इससे जुडे हैं। श्री डोले की टीम के सदस्य नाशिक में मालेगांव में पांच सौ एकड से अधिक जमीन पर खेती कर रहे हैं। उनकी टीम जल संरक्षण के लिए तालाबों का निर्माण भी कर रही है। इस टीम ने जैविक खेती और डेयरी के क्षेत्र में भी काम करना शुरू किया है।इनके उपजाए गए अंगूर अब यूरोप तक निर्यात किए जाते हैं। श्री मोदी ने तकनीक और खेती-बाडी की आधुनिक शैली के अधिकतक उपयोग के लिए श्री डोले की टीम की प्रशंसा की। यह टीम अब निर्यात के लिए जरूरी प्रमाणन पर ध्यान दे रही है। श्री मोदी ने कहा कि इस टीम से बडी संख्या में लोगों का सशक्तिकरण हुआ है और आजीविका के कई साधन भी बने हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह प्रयास मन की बात के हर श्रोता को प्रेरित करेगा।
प्रधानमंत्री ने हाल ही में जापान के यात्रा के दौरान हिरोशिमा शांति स्मारक संग्रहालय के दौरे को भावुक कर देने वाला अनुभव बताया। उन्होंने कहा कि इतिहास की स्मृतियां को संजोकर रखना भावी पीढी के लिए मददगार साबित होता है। श्री मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय प्रदर्शनी की भी चर्चा की जिसका आयोजन कुछ ही दिन पहले भारत में हुआ था। इस प्रदर्शनी में दुनिया भर के बारह सौ से अधिक संग्रहालयों की विशिष्टताओं को दर्शाया गया था। श्रीमोदी ने कहा कि भारत के संग्रहालय भी देश के अतीत के कई पहलुओं को प्रदर्शित करते हैं।
गुरुग्राम में म्यूजियो कैमरा नामक संग्रहालय में 1860 के बाद के आठ हजार से अधिक कैमरे हैं। तमिलनाडु के म्यूजियम ऑफ पासिबिलिटीज की डिजाइन दिव्यांगों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है। इसी प्रकार, मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय में 70 हजार से अधिक वस्तुएं संग्रहित हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2010 में स्थापित भारतीय स्मृति परियोजना एक ऑनलाइन संग्रहालय है जो दुनिया भर से भेजी गईं तस्वीरों और कहानियों के माध्यम से भारत के गौरवशाली इतिहास की कडियों को जोडने में जुटा है। उन्होंने कहाकि विभाजन की विभीषिका से जुडी स्मृतियों को भी सामने लाने का प्रयास किया गया है। श्री मोदी ने कहा कि स्वतंत्रता संघर्ष में जनजातीय लोगों के योगदान को दर्शाने वाले दस संग्रहालयों की स्थापना की जा रही है। इनमें कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल में विप्लवी भारत दीर्घा, जलियांवाला बाग स्मारक का पुनरूद्धार, देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों को समर्पित प्रधानमंत्री संग्रहालय, दिल्ली स्थित राष्ट्रीय स्मर स्मारक और पुलिस स्मारक शामिल हैं। उन्होंने कहा कि पहली बार, देश के सभी संग्रहालयों से जुडी आवश्यक सूचना को संकलित किया गया है और अब यह ऑनलाइन उपलब्ध है। श्री मोदी ने लोगों से हैशटेग म्यूजियम मेमोरीज के साथ अपनी तस्वीरें साझा करने की अपील की। उन्होंने कहा कि लोग ऐसा करके भारत की वैभवशाली संस्कृति के साथ अपने जुडाव को और प्रगाढ कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर की जयंती है उनके त्याग, साहस और संकल्प-शक्ति की गाथाएं आज हर किसी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उन्होंने कहा कि सामाजिक समानता और सामाजिक न्याय के लिए वीर सावरकर के योगदान को सदैव स्मरण रखा जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि चार जून को संत कबीर दास की जयंती मनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि कबीर का दिखाया मार्ग आज भी उतना ही प्रासंगिक है। श्री मोदी ने कहा कि संत कबीर ने समाज को बांटने वाली कुप्रथाओं का विरोध किया और समाज को जागृत करने का प्रयास किया।
आज राजनेता और फिल्मकार एन. टी. रामाराव की सौवीं जयंती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि तीन सौ से अधिक फिल्मों में अभिनय करने वाले श्री रामाराव तेलुगु सिनेमा के महानायक थे, जिन्होंने करोडों लोगों का दिल जीता। श्री मोदी ने श्री एन टी रामाराव को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि श्री रामाराव ने फिल्म जगत के साथ-साथ राजनीति में भी अपनी अलग पहचान बनाई।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 21 जून को विश्व योग दिवस के आयोजन के लिए देश-विदेश में तैयारियां चल रही हैं। उन्होंने मन की बात की सौवीं कडी को लोगों से मिले स्नेह के प्रति आभार प्रकट किया।