नई दिल्ली २९ अप्रैल: रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों से आतंक के उन्मूलन और आतंकी गतिविधियों को शह देने या धन उपलब्ध कराने वालों की जवाबदेही तय करने के लिए मिलकर कार्य करने का आह्वान किया है। कल नई दिल्ली में शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक में उन्होंने कहा कि आतंकी गतिविधियों में लिप्त होना या उसे समर्थन देना मानवता के प्रति अपराध है और इसका समाधान किए बिना शांति संभव नहीं है। उन्होंने युवाओं के कट्टरपंथ की ओर प्रवृत्त होने को एक बड़ी सुरक्षा चुनौती और समाज की सामाजिक-आर्थिक प्रगति के लिए बाधक बताया।
रक्षामंत्री ने कहा कि भारत, क्षेत्रीय सहयोग की एक ऐसी व्यवस्था का पक्षधर है जिसमें सभी सदस्य देशों के हितों का ध्यान रखा जाए एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान हो। उन्होंने कहा कि भारत, संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र के अनुसार शांति और सुरक्षा बनाए रखने में विश्वास रखता है और सदस्य देशों में विश्वास और सहयोग बढ़ाने के लिए प्रयासरत है।
श्री राजनाथ सिंह ने प्रशिक्षण और रक्षा उपकरणों के सह-निर्माण और सह-विकास के माध्यम से सदस्य देशों की रक्षा क्षमता बढ़ाने की भारत की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि सुरक्षा चुनौती किसी एक देश तक सीमित नहीं है, इसलिए भारत साझा हितों को ध्यान में रखते हुए रक्षा क्षेत्र में सहयोग की भावना से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि इस क्षेत्र में किसी भी मानवीय सहायता और आपदा राहत सहयोग में भारत अग्रणी भूमिका निभाता रहेगा। रक्षामंत्री ने कहा कि कोविड महामारी हो या तुर्किए में हाल का भूकंप, भारत ने सदैव वसुधैव कुटुम्बकम की भावना से कार्य किया है। बैठक के अंत में, शंघाई सहयोग संगठन के सदस्यों ने प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए और क्षेत्र को सुरक्षित, शांतिपूर्ण और समृद्ध बनाने का संकल्प व्यक्त किया।
रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने ने बताया कि संगठन के सभी सदस्य देशों ने आतंक से निपटने, वंचितों की सहायता और मानवीय सहायता तथा आपदा राहत सहित कई क्षेत्रों में सहयोग पर सहमति व्यक्त की है। बैठक में चीन, रूस, ईरान, बेलारूस, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, किर्गिजिस्तान और ताजिकिस्तान के रक्षामंत्री उपस्थित थे।