कोविड-19 की उत्‍पत्ति का पता लगाना नैतिक और वैज्ञानिक रूप से आवश्यक : डबल्यूएचओ प्रमुख

नई दिल्ली १३ मार्च: विश्व स्वास्थ्य संगठन-डबल्यू.एच.ओ. के महानिदेशक टेड्रोस अधनॉम घेब्रयेसस ने कहा है कि कोविड महामारी की उत्‍पत्ति का पता लगाना नैतिक और वैज्ञानिक दृष्टि से आवश्यक है। श्री घेब्रयेसस ने कल ट्वीट संदेश में यह बात कही। उन्‍होंने कहा कि डबल्यू.एच.ओ. ने 30 जनवरी 2020 को कोविड के संबंध में चेतावनी जारी की थी और मार्च 2020 में इसे महामारी घोषित किया था।

संगठन प्रमुख ने कहा कि पिछले तीन वर्षों के दौरान कोविड महामारी से अनेक लोगों की जान गई है और बहुत से लोग अब भी कोविड पीड़ित है। उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन जीवन रक्षक उपकरणों की एक-समान पहुंच उपलब्‍ध कराने की मांग कभी नहीं छोड़ेगा।

श्री टेड्रोस अधनॉम घेब्रयेसस का बयान एक अमरीकी एजेंसी की उस रिपोर्ट के एक सप्ताह बाद आया है, जिसमें कहा गया है कि कोविड महामारी की उत्पत्ति चीन की प्रयोगशाला से अनजाने में रिसाव के कारण हुई थी। इसके बाद से विश्व स्वास्थ्य संगठन पर कोविड महामारी की उत्पत्ति को लेकर स्‍पष्‍टीकरण देने का दबाव बढ गया है।

इससे पहले, विश्व स्वास्थ्य संगठन के नेतृत्व में एक दल ने वर्ष 2021 में चीन के वुहान और इसके आसपास के क्षेत्रों का दौरा किया था। यहीं पर कोविड के पहले मरीज का पता चला था। इस दल ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि संभवत: यह वायरस किसी अन्य जानवर के माध्यम से चमगादड़ों के जरिये मनुष्यों तक पहुंचा है, लेकिन इस संबंध में और अधिक अध्ययन करने की आवश्यकता है।

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