नई दिल्ली १५ जनबरी : थल सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडेय ने कहा है कि सेना के हथियारों और अन्य ढांचों का आधुनिकीकरण किया जा रहा है। उन्होंने कहा है कि सेना उन्नत तकनीक को अपना रही है और स्वदेशी हथियारों तथा उपकरणों के विकास के लिए उद्योगों के साथ साझेदारी कर रही है ताकि मौजूदा और भावी चुनौतियों से निपटा जा सके।
आज बेंगलुरू में 75वें थल सेना दिवस समारोह में उन्होंने कहा कि सेना भारतीय सीमा पर किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। जनरल पांडेय ने कहा कि सीमा पर देश की तैयारियों और ड्रोनरोधी तकनीक के कारण सीमा-पार से आतंकवाद और घुसपैठ को रोकने में मदद मिली है। उन्होंने आश्वस्त किया कि जम्मू-कश्मीर में खास वर्ग को निशाना बनाकर की जा रही हत्याओं को रोकने के उपाय किए जाएंगे।
जनरल पांडेय ने कहा कि संघर्ष-विराम के उल्लंघन के मामले कम हुए हैं और लोगों ने हिंसा का रास्ता छोड़कर विकास के लिए सरकार का साथ देना शुरू किया है। रूस-यूक्रेन युद्ध में विनाशकारी तकनीकों और साइबर तथा अंतरिक्ष युद्ध जैसे आधुनिक कौशल के उपयोग के संबंध में थल सेना प्रमुख ने कहा कि सेना इन चुनौतियों के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि क्वांटम संचार, यांत्रिक बुद्धिमत्ता, ब्लॉक चेन, मानवरहित प्रणालियों और निर्दिष्ट ऊर्जा हथियारों जैसी आला तकनीक के उपयोग के मामले में सेना ने प्रगति की है।
जनरल मनोज पांडेय ने कहा कि सैनिकों को उन्नत हथियार और उपकरण मुहैया कराए जा रहे हैं और आत्मनिर्भर बनाने के लिए तकनीक से लैस किया जा रहा है। उन्होंने अग्निवीर योजना की प्रगति पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि अग्निवीरों की भर्ती के लिए पारदर्शी और स्वचालित प्रक्रिया अपनाई जा रही है और उन्हें आधुनिक तरीके से प्रशिक्षित किया जा रहा है।
जनरल पांडेय ने कहा कि थल सेना दिवस का आयोजन बेंगलुरू में किया जाना महत्वपूर्ण है क्योंकि स्वतंत्र भारत में थल सेना के पहले कमांडर-इन-चीफ फील्ड मार्शल के.एम. करिअप्पा कर्नाटक में मडिकेरी के हैं।
थल सेना दिवस समारोह में अपने संबोधन से पूर्व, जनरल पांडेय ने लांसनायक गोपाल सिंह भदौरिया को मरणोपंरात शौर्य चक्र प्रदान किया। उन्होंने आतंकरोधी और घुसपैठरोधी अभियानों के दौरान असाधारण साहस का प्रदर्शन करने वाले अन्य बहादुरों और सैनिकों को भी सेना पदक से सम्मानित किया।
समारोह के दौरान, सेना की आठ टुकडि़यों की भव्य परेड आकर्षण का केंद्र रही।